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डाउनलोड करेंमुजफ्फरपुर के सरैया आनंदपुर की रहने वाली पद्मश्री सम्मान से सम्मानित 'किसान चाची' राजकुमारी देवी (65) की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। उन्हें परिजनों ने पटना AIIMS में इमरजेंसी में भर्ती कराया, लेकिन परिजन का कहना है कि वहां तुरंत वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं हो सकी। इसके बाद भिखनापहाड़ी में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। फिलहाल वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। हालत चिंताजनक बनी हुई है। डॉक्टर के अनुसार, 48 घंटे उनके जिंदगी के लिए काफी अहम हैं।
परिजनों ने बताया, '15 जनवरी को किसान चाची की तबीयत खराब हुई थी। उन्हें गैस्टिक की समस्या हुई। इसके बाद परिजन उन्हें लेकर सरैया में एक हॉस्पिटल में ले गए। प्रारंभिक इलाज के बाद उन्हें मुजफ्फरपुर रेफर किया गया। यहां भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुई तो पटना रेफर कर दिया गया।' परिजनों का कहना है कि उनके पाचन तंत्र में समस्या है। अभी किसी से बातचीत नहीं हो रही है। हालत गंभीर बनी हुई है।
क्रिटिकल केयर में 48 घंटे के ऑब्जर्वेशन में 'किसान चाची'
किसान चाची की हालत काफी नाजुक है। पैंक्रियाज और लीवर इंफेंक्शन के कारण उन्हें क्रिटिकल केयर में वेंटिलेटर पर रखा गया है। 48 घंटे उनके जिंदगी के लिए काफी अहम हैं। इलाज कर रही डॉक्टरों की टीम का कहना है कि वो 48 घंटे बाद ही कुछ बोल पाने की स्थिति में होंगे। किसान चाची के दामाद रवि ने बताया कि 15 जनवरी काे मकर संक्रांति के दिन घर में फेस्टिवल का माहौल था। इसी बीच किसान चाची ने सब्जी बनाने की जिद की। घर वाले मना कर रहे थे लेकिन फेस्टिवल के कारण किसान चाची की इच्छा थी और बेटी-बहू को मनाकर खुद सब्जी बनाने बैठ गईं। 15 जनवरी को ही दोपहर लगभग 12 बजे उन्हें गैस की समस्या महसूस हुई। गैस के कारण उनकी हालत बिगड़ने लगी। आनन फानन में उन्हें लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे। यहां इलाज से आराम नहीं हुआ तो मुजफ्फरपुर के डॉ. ए के दास के निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। किसान चाची की हालत देख प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उन्हें पटना रेफर कर दिया।
साइकिल से शुरू हुआ था किसान चाची का सफर
किसान चाची की गिनती देश के उन चुनिंदा कृषकों में होती है, जिन्होंने अपनी मेहनत से खुद को ही नहीं समाज को भी बदलने का काम किया। उन्होंने न सिर्फ अपना बल्कि हजारों महिलाओं का जीवन बदल दिया। उनका सफर साइकिल से शुरू हुआ था। वे साइकिल पर खुद से आचार बनाकर बेचने जाती थी। ताकि उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके। उस समय लोगों ने यह देखकर खूब ताने मारे थे। समाज को यह नागवार गुजरा और उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया था, लेकिन इन सबके बावजूद वे अपने इरादों पर अटल रही। इन सब बाधाओं से वह नहीं डरीं और एक कृषक व कारोबारी के रूप में अपनी पहचान बनाई। बाद में जो लोग पहले ताने देते थे वे सम्मान की नजर से देखने लगे।
2003 में मिला था पहला पुरस्कार
2003 में किसान मेले में उनके उत्पाद को पुरस्कार मिला। अब किसान चाची के साथ महिलाएं जुड़ी हैं, जो अचार-मुरब्बा तैयार करती हैं। किसान चाची को 2007 में किसान श्री सम्मान मिला। यहीं से किसान चाची नाम पड़ा। वाइब्रेंट गुजरात-2013 में आमंत्रित की गईं। तब मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने उनका फूड प्रोसेसिंग मॉडल सरकारी वेबसाइट पर डाला। 2015 और 2016 में अमिताभ बच्चन ने KBC में शामिल हुईं। 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनको पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था।
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