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डाउनलोड करेंमुजफ्फरपुर जिले के जुरन छपरा स्थित आई हॉस्पीटल में मोतियाबिन्द के गलत ऑपरेशन का मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। मानवाधिकार अधिवक्ता SK झा ने बिहार मानवाधिकार आयोग एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मामले की जानकारी दी है। उनके द्वारा बकायदा एक याचिका भी दाखिल की गई है। साथ-ही-साथ अधिवक्ता द्वारा मामले के संबंध में उच्च न्यायालय पटना और सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली को भी पत्र लिखा गया है। विदित हो कि आई हॉस्पीटल मुजफ्फरपुर में मोतियाबिन्द के मरीजों ने अपने आंख का ऑपरेशन करवाया था। लेकिन बाद में कुछ मरीजों के आंखों को निकालना पड़ गया तथा सभी मरीजों के आंखों में इन्फेक्शन हो गया है। मामले के सम्बंध में अधिवक्ता ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या यह मामला लापरवाही का प्रतीत होता है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए तथा दोषियों पर विधि सम्मत कार्रवाई होनी चाहिए। साथ-ही-साथ सभी पीड़ितों को सरकारी खर्च पर इलाज होनी चाहिए।
उन्होंने याचिका में लिखा है कि किस डॉक्टर ने मरीजों का इलाज किया। उनकी योग्यता क्या है और इलाज में पहले किस तरह से जांच किया गया। इसकी गहराई से जांच किया जाना चहिये। उक्त हॉस्पिटल के वार्ड मानक अनुसार हैं या नहीं। या मुफ्त आपरेशन के नाम पर मरीजों को जैसे तैसे रखा जाता है। इसकी भी जांच कराने की आवश्यकता है।
आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने गए कई मरीजों का आंख खराब हो गई। वहीं, कई मरीजों के आंखें निकालनी पड़ी है। करीब दो दर्जन लोगों की मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। जिसके बाद उनकी आंखें खराब हो गई। जबकि, आधा दर्जन लोगों की आंखें निकाल ली गई। वही बचे हुए लोगों को भी डॉक्टरों के द्वारा आंखें निकालने की बात बताई गई है।
बता दें कि 22 नवंबर को जिस डॉक्टर ने 65 लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। इन सभी 65 लोगों की आंख की रोशनी चली गई। इन्फेक्शन के कारण अब तक 12 की आंख निकाली जा चुकी है। अन्य 7 लोगों की आंख SKMCH में बुधवार को निकाली जाएगी। कार्नियामेंट के कारण इनकी रेटिना डेड हाे गई। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन आई हॉस्पिटल में चार और SKMCH में तीन लोगों की आंख निकाले जाने की ही बात कह रहा है।
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