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डाउनलोड करेंटीएमबीयू काे अपनी जमीन और अपने तालाब की काेई चिंता नहीं है। बंदाेबस्ती नहीं हाे, बाहरी लाेग तालाबों में बिना अनुमति के मछली पालन कर लें या खाली जमीन पर खेती। विवि के अधिकारी तब तक खाेजबीन नहीं करते हैं जब तक मामला तूल न पकड़ ले या सीनट या सिंडिकेट में आपत्ति न करे।
विवि की इस्टेट शाखा काे यह जानकारी नहीं थी कि आॅडिटाेरियम और सेंट्रल लाइब्रेरी कैंपस में खेती हो रही है। उसे यह भी सूचना नहीं थी कि सेंट्रल लाइब्रेरी के सामने के तालाब में मछली पालन हो रहा है। सभी मामले सामने आए ताे इस्टेट शाखा ने अपने दरबान इन जगहाें पर भेजे। दरबान ने रिपाेर्ट दी तब खेती और मछली पालन करने वालों को नोटिस थमाया।
टीएमबीयू को हो रहा राजस्व का नुकसान
एक सीनेट सदस्य ने कहा, लंबे समय तक बंदाेबस्ती न हाेने से यह स्थिति है। भैरवा तालाब से लेकर अन्य तालाब और विवि की जमीन की बंदाेबस्ती की फाइल अक्टूबर से फंसी हुई है। पूर्व वीसी नीलिमा गुप्ता के समय बंदोबस्ती की फाइल बढ़ाई गई थी। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। इससे विवि काे दाे तरह का नुकसान हाे रहा है।
पहला, बंदाेबस्ती न हाेने से खेती या मछली पालन के लिए ठेका नहीं दिया जा रहा है। इससे राजस्व का नुकसान हाे रहा है। दूसरा, तालाब खाली रहने या जमीन परती रहने से बाहरी लाेग उपयाेग करने लगते हैं। हालांकि प्राॅक्टर डाॅ. रतन मंडल ने कहा, अब इनकी लगातार निगरानी होगी। गलत ढंग से खेती और मछली पालने वालाें काे चेतावनी भी दी है। आगे एेसा हुआ तो कार्रवाई होगी।
भैरवा तालाब के मामले के बाद उलझी बंदाेबस्ती
दरअसल, पिछले साल भैरवा तालाब का टेंडर सरकारी दर 61 लाख की जगह सिर्फ 18 लाख में करने का मामला सामने आने के बाद टेंडर की प्रक्रिया रद्द की गई थी। तब ठेकेदार और विवि के बीच ठन गई थी। उसके बाद से ही मामला उलझा है। बंदाेबस्ती के लिए प्रभारी वीसी की अनुमति भी चाहिए।
सेंट्रल लाइब्रेरी में पहले भी उगाई थी गाेभी
पिछले ही साल सेंट्रल लाइब्रेरी के कैंपस में बाहरी व्यक्ति ने विवि के एक अधिकारी के माैखिक आदेश पर गाेभी की खेती की थी। यह मामला खुला तो विवि ने गाेभी उजड़वाई थी क्याेंकि इस कैंपस में तत्कालीन वीसी ने फूल लगाने काे कहा था। इस बार यहां बिना अनुमति के टमाटर की खेती हाेने लगी।
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