भागलपुर सृजन घोटाले में CBI का एक्शन:'सृजन' मैनेजमेंट की मेंबर 3 महिला आरोपी अरेस्ट, मास्टरमाइंड मनोरमा देवी से रहे हैं तीनों के संबंध
कोर्ट में पेशी के लिए गिरफ्तार महिला आरोपियों को ले जाती CBI टीम।
भागलपुर के बहुचर्चित सृजन घोटाला मामले में CBI ने बड़ी कार्रवाई की है। टीम ने तीन महिला आरोपियों अपर्णा वर्मा, राजरानी वर्मा और साहिबगंज निवासी जसीमा खातून को मंगलवार सुबह गिरफ्तार कर लिया और भागलपुर कोर्ट में पेश किया। इन पर आरोप है कि इन्होंने बैंकों कर्मियों और सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर के अध्यक्ष, सचिव से मिलीभगत कर सरकारी खाते से जालसाजी और षडयंत्र कर सृजन के विभिन्न बैंक खातों से पैसा ट्रांसफर कर गबन किया।
इन सबके खिलाफ 16 फरवरी को गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। अपर्णा और राजरानी की गिरफ्तारी सबौर स्थित उनके घर से हुई है, जबकि जसीमा खातून साहेबगंज से अरेस्ट हुई है। तीनों सृजन महिला विकास सहयोग समिति लि. सबौर की प्रबंधकारिणी सदस्य थीं।
2018 में दर्ज हुआ था आरसी 6(ए) से जुड़ा मामला
जानकारी के अनुसार, तीनों महिला आरोपियों के संबंध घोटाले की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी से भी थे। तीनों के घर पर CBI ने अगस्त में भी दस्तक दी थी, हालांकि तब तीनों फरार हो गई थीं। सृजन घोटाल में CBI ने आरसी 6(ए) से जुड़ा मामला 2018 में दर्ज किया था। इसके बाद कोर्ट ने 11 फरवरी 2021 को संज्ञान लिया। अलग-अलग सुनवाई के दौरान कई आरोपियों के खिलाफ सम्मन और जमानतीय वारंट जारी किए, लेकिन कोई आरोपी हाजिर नहीं हुआ। इसके बाद कोर्ट ने इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
सृजन घोटाले में दिल्ली और पटना CBI ने पहले से करीब दो दर्जन प्राथमिकी दर्ज कर रखी हैं, जिसमें जांच चल रही है। कई अभियुक्तों को गिरफ्तार भी किया गया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी जांच कर रही है।
वारंट पर पेश नहीं होने के बाद कोर्ट ने इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
NGO की आड़ में हुई थी 300 करोड़ की लूट
- भागलपुर में सरकारी विभाग के बैंक खातों से 300 करोड़ की अवैध निकासी कर उसे सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड (स्वयं सहायता समूह) के खातों में ट्रांसफर किया गया था।
- सीएम नीतीश कुमार ने सरकारी धन की इस लूट का खुलासा किया था। उन्होंने कहा था- 'भागलपुर में 250 करोड़ का घोटाला हुआ है। हम इसकी जांच करा रहे हैं।’
- सृजन घोटाले की जांच पहले आर्थिक अपराध यूनिट ने शुरू की थी। मामले के राजनीतिक तूल पकड़ने पर बिहार सरकार ने CBI से जांच की अपील की थी। इसके बाद CBI ने जांच शुरू की थी।
किस योजना और बैंक से कितने की हुई अवैध निकासी
- जिला भू-अर्जन विभाग (बैंक ऑफ बड़ौदा) : 2 अरब 70 करोड़ 3 लाख 32 हजार 693 रुपए
- जिला नजारत शाखा (बैंक ऑफ बड़ौदा) : 14 करोड़ 80 लाख, 38 हजार 296 रुपए 31 पैसे
- मुख्यमंत्री नगर विकास योजना (इंडियन बैंक) : 10 करोड़ 26 लाख 58 हजार 295 रुपये
- मुख्यमंत्री नगर विकास योजना, जिला नजारत शाखा और जिला भू-अर्जन विभाग के अलग-अलग बैंकों में संचालित खातों में गड़बड़ी की गई है।
NGO है सृजन
- सृजन महिला विकास सहयोग समिति की स्थापना 1996 में हुई। कहने के लिए संस्था ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, नैतिक, शैक्षणिक विकास के लिए काम करती है।
- इसका कार्यक्षेत्र भागलपुर जिले के सबौर, गोराडीह, कहलगांव, जगदीशपुर, सन्हौला समेत 16 प्रखंडों तक फैला है।
- इसका उद्देश्य संगठनात्मक कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्वरोजगार, बचत व साख, उत्पादन व मार्केटिंग, साक्षरता, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करना था, लेकिन संस्था इसकी आड़ में सरकारी फंड का बैंक की मिलीभगत से अपने खाते में लाकर उसका दुरुपयोग कर रही थी।
- जांच के पहले तक संस्था दावा कर रही थी कि वह गांव की महिलाओं को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाती है।
ऐसे हुआ घोटाला: फर्जी सिग्नेचर से निकाले रुपए
- जालसाजों ने शातिर तरीका आजमाया और फर्जी सिग्नेचर के जरिए करोड़ों के घोटाले को धीरे-धीरे अंजाम दिया।
- दरअसल विभिन्न योजनाओं से जुड़ी सरकारी राशि जिला प्रशासन के संबंधित महकमे के एकाउंट में जाती है।
- इसके बाद योजनाओं से संबंधित राशि एक अलग (शार्ट टर्म एकाउंट) खाते में जमा कर दी जाती है। इसी एकाउंट में सेंधमारी की गई।
- फर्जी सिग्नेचर के जरिए सरकारी शार्ट टर्म एकाउंट की राशि सीधे NGO सृजन के खाते में ट्रांसफर होने लगी।
- इसके बाद जीविका के स्तर पर चेक के जरिए बैंक की शाखाओं से कैश की निकासी की जाती थी।
- इसी तर्ज पर 2008 से 2017 के आरंभ तक 300 करोड़ की राशि निकालकर शातिरों ने हड़प ली।
...और यूं खुला लूट का राज
- सृजन महिला विकास समिति की सचिव मनोरमा देवी जब तक जीवित थीं, तब तक बैंक से चेक के जरिए रकम मिलती रही। उनकी मौत के बाद चेक बाउंस होने लगे।
- तात्कालीन ADG (मुख्यालय) संजीव कुमार सिंघल के मुताबिक, मनोरमा देवी की मृत्यु के बाद NGO से संबंधित एकाउंट डिसऑर्डर होने पर हंगामा खड़ा हो गया। जांच में एकाउंट में पैसा नहीं मिला। इसके बाद एक दशक से हो रहे घोटाले की पोल खुलने लगी।