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डाउनलोड करेंजिले में काेराेना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। इस माह के 16 दिन में 1663 मरीज मिल चुके हैं, लेकिन डाॅक्टराें काे अब तक यह भी पता नहीं चल सका कि संक्रमितों में वायरस का कौन सा वैरिएंट है। अधिकतर मरीजों में ओमिक्रॉन के लक्षण मिल रहे हैं, पर मायागंज अस्पताल में दाे मरीजाें की माैत के बाद वायरस के वैरिएंट का पता लगाना जरूरी कर दिया है। सीएस डाॅ. उमेश शर्मा ने पाॅजिटिव मरीजाें के 5 प्रतिशत जीनाेम सिक्वेंसिंग करवाने के निर्देश दिए।
इस हिसाब से 65 मरीजाें के सैंपल भेजने थे। डेढ़ माह में अब तक 32 सैंपल भी भेजे गए। इनमें 21 भागलपुर और 11 कटिहार के हैं। लेकिन हालत यह है कि अब तक एक भी रिपोर्ट नहीं आ सकी। सिविल सर्जन डाॅ. शर्मा ने बताया, हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी से बात की है। उनसे सैंपल की रिपोर्ट के बारे में पूछा है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे के प्रोटोकॉल तय होंगे।
वायरस के वैरिएंट से तय हाेता है लाइन ऑफ ट्रीटमेंट
जीनाेम सिक्वेंसिंग क्याें जरूरी?
प्रिवेंटिव मैकेनिज्म के लिए वायरस का पता लगाना जरूरी है। इससे वायरस के रूप बदलने की स्थिति साफ होगी। ओमिक्राॅन के लिए सामान्य व डेल्टा में अलग दवा दी जाती है।
वेरिएंट से क्या बदलेगा?
वायरस का वेरिएंट पता लगने से उसके प्रभाव का पता चलेगा। इसी के अनुसार, बीमारी रोकने की रणनीति बनेगी। प्रोटोकॉल भी तय होगा।
ओमिक्रॅन में काैन सी दवा जरूरी?
ओमिक्राॅन में बुखार रहने पर पारासिटामाेल की टैबलेट, खांसी हाेने पर उसकी दवा लेना है। जिंक व विटामिन-सी की जरूरत नहीं है, जबकि डेल्टा के लिए एजिथ्राेमाइसिन जरूरी है।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहार के ही हैं। हमलाेगाें ने पहले भी वैरिएंट का पता लगाने की बात कही थी। स्टेट टीम के पास फिर प्रस्ताव रखेंगे कि भागलपुर से जो सैंपल गए, उसकी रिपोर्ट समय पर दें। अभी यह टेस्ट यहां के लिए नया है, इसलिए परेशानी है। जल्द निदान के लिए बात करूंगा। - डाॅ. संदीप लाल, अध्यक्ष, आईएमए
अबतक कुल 32 सैंपल यहां से जीनाेम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे हैं, रिपाेर्ट एक भी नहीं आयी है। अब बताया जा रहा है कि इसके लिए आईएचआईपी पर एक पाेर्टल बनाना पड़ेगा, इसके बाद ही रिपाेर्ट जारी हाेगा। दाे दिन पहले इसके लिए वीडियाे कांफ्रेंसिंग भी हुई है, अब यह कार्य जल्द हाे जाएगा। -डाॅ. आसिफ, इंचार्ज, काेराेना जांच लैब
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