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डाउनलोड करेंभारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित बेलवा घाट परिसर में मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर 111 वीं नारायणी गंडकी महाआरती कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महा आरती का आयोजन बुधवार की रात्रि में किया गया। इस महाआरती में भारत नेपाल सीमा के स्थानीय लोगों समेत वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में आए सैलानियों ने भी भाग लिया। सैलानियों के लिए यह बिल्कुल नया था। जिसे सैलानियों ने खूब सराहा।
अंतरराष्ट्रीय न्यास स्वरांजलि सेवा संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ लोकप्रिय कलाकार डी. आनंद, आचार्य पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी, स्वरांजलि सेवा संस्थान के एम.डी संगीत आनंद, राष्ट्रीय अध्यक्षा अंजू देवी, थारू कला संस्कृति एवं प्रशिक्षण संस्थान के सचिव होम लाल प्रसाद, आनंद पटवारी, गोविंद प्रसाद, गायक नागेंद्र महतो, शिवचंद्र शर्मा एवं कामेश्वर वास्तव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया। कलयुग केवल नाम आधारा, सुमिर सुमिर नर उतरेहू पारा। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा । इसी के तहत नाम संकीर्तन पर विशेष बल दिया गया। सभी आगत भक्तों ने समवेत स्वर में सीताराम राधेश्याम ,हर हर गंगे आदि मंत्रों का पाठ किया।
डी. आनंद ने कहा कि संरक्षक मंडल में ग्राम पंचायत राज लक्ष्मीपुर रमपुरवा की मुखिया मालती देवी एवम् लोकप्रिय समाजसेवी सुमन सिंह का नाम शामिल किए जाने से संस्था के सदस्यों में हर्ष व्याप्त है। पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी ने कहा कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मोक्षदायिनी पूर्णिमा, अगहन पूर्णिमा एवं बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन नदी के तट पर स्नान करने से और कथा पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। थरुहट के गायक नागेंद्र महतो ने राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा भजन गाकर कृष्ण भक्ति की अलख जगाने का काम किया।
होमलाल प्रसाद ने कहा कि यह महा आरती वाल्मीकि नगर की पहचान है। वर्ष 2014 से निरंतर यह महा आरती चल रही है। जिसमें बाहरी पर्यटक भी भाग लेते रहते हैं ।नेपाल के धर्मपाल गुरु वशिष्ट जी महाराज के सौजन्य से महा प्रसाद की व्यवस्था की गई।
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