10 तस्वीरों में तालिबानी सोच के खिलाफ मोर्चाबंदी:तालिबान ने बुर्का पहनाया तो अफगानी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर शुरू किया कैंपेन; पारंपरिक लिबास में डाली तस्वीरें
तालिबान की बुर्का और दमनकारी नीतियों के खिलाफ महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है। काबुल से लेकर अफगान में रह रहीं अफगानी महिलाएं सांस्कृतिक परिधानों के साथ अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रही हैं। महिलाओं का ये सोशल मीडिया कैंपेन तालिबानी हुकूमत के खिलाफ है।
खूबसूरत रंग-बिरंगे परिधानों में महिलाओं की तस्वीरों से ट्विटर सजा हुआ है। महिलाएं #DoNotTouchMyClothes और #AfghanistanCulture हैशटैग के साथ ये तस्वीरें शेयर कर रही हैं। कई महिलाओं ने लिखा, "अफगान संस्कृति खूबसूरत रंगों उत्सव है। इसमें बुर्का और महिला दमन कभी नहीं रहा।" इस कैंपेन को सोशल मीडिया पर पूरी दुनिया के यूजर्स सपोर्ट कर रहे हैं।
10 तस्वीरों में देखिए पारंपरिक पोशाकों में अफगानी महिलाओं का कैंपेन...
अफगानिस्तान में फर्स्ट जेंडर स्टडीज प्रोग्राम शुरू करने वाली डॉ. बहार जलाली ने सोशल मीडिया पर अफगानी परिधान पहने अपनी तस्वीर पोस्ट की। उन्होंने लिखा- ये अफगान कल्चर है। उनकी तस्वीर से ट्रेंड शुरू हुआ।
DW न्यूज में अफगान सर्विस की प्रमुख वसलत हजरत नजीमी ने अपनी तस्वीर के साथ लिखा- काबुल में पारंपरिक अफगानी पोशाक पहने हुए मैं। यह अफगानी संस्कृति है और अफगानी महिलाएं ऐसे ही कपड़े पहनती हैं।
महिलाएं तालिबान के कट्टर फरमानों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं। इन तस्वीरों पर लोग कमेंट कर रहे हैं कि हमें पता भी नहीं था अफगानिस्तान की कोई पारंपरिक पोशाक भी है।
एक महीने पहले तालिबान ने अफगानिस्तान को अपने कब्जे में लिया। उसके बाद से ही तालिबानी हुकूमत महिलाओं को लेकर कट्टरपंथी फरमान जारी कर रही है।
तालिबान की नई सरकार में महिलाओं को जगह नहीं दी गई है। इसके बारे में तालिबान का कहना है कि महिलाओं का काम बच्चे पैदा करना है, देश चलाना नहीं।
एक यूजर ने यह तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा- ये अफगानिस्तान के बामियान की ग्रामीण महिलाएं हैं। हमारी महिलाएं रंगों से भरी हुई और जिंदादिल हैं। नकाब में तालिबानी महिलाएं हैं।
तालिबान ने सत्ता में आने के साथ ही महिलाओं के लिए बुर्का जरूरी कर दिया है। उनके डर से महिलाएं पाबंदियों में जीने को मजबूर हैं।
रंग-बिरंगे परिधानों में महिलाओं की तस्वीरों के कैंपेन को दुनियाभर के लोग सपोर्ट कर रहे हैं। भारत में कई लोग यहां तक कह रहे हैं कि अफगानी पोशाक और भारतीय सलवार-सूट काफी मिलते-जुलते हैं।
एक अफगानी महिला ने लिखा- यह हमारी असली अफगानी पोशाक है। अफगानी महिलाएं ऐसे ही खुशरंग और सलीकेदार कपड़े पहनती हैं। काला बुर्का कभी हमारी तहजीब का हिस्सा नहीं रहा।
एक अकाउंट ने अफगानी डांस की यह तस्वीर पोस्ट की। अगस्त, 2012 में सिल्क रोड शो के दौरान अमेरिका के बैले अफसाने डांस ग्रुप ने अफगानिस्तान की पारंपरिक पोशाक में डांस प्रस्तुत किया था।