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अमेरिकी ड्रोन पर रूसी हमले का VIDEO:रूसी फाइटर जेट ने फ्यूल गिराया जिससे खराब होकर ड्रोन ब्लैक सी में गिरा

वॉशिंगटन3 महीने पहले
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यह वीडियो ड्रोन में लगे कैमरे से ही कैप्चर हुआ। इसमें रूसी फाइटर जेट ड्रोन के करीब आता दिख रहा है। वीडियो अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने जारी किया है। - Money Bhaskar
यह वीडियो ड्रोन में लगे कैमरे से ही कैप्चर हुआ। इसमें रूसी फाइटर जेट ड्रोन के करीब आता दिख रहा है। वीडियो अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने जारी किया है।

दो दिन पहले रूस-यूक्रेन बॉर्डर के करीब रूस के सुखोई फाइटर जेट ने अमेरिका के एडवांस्ड रीपर ड्रोन पर हमला किया था। रूस के दो Su-27 ने इस रीपर को घेरकर उस पर फ्यूल गिराया था। ये फ्यूल रीपर के प्रोपेलर में पहुंचा और ड्रोन कुछ देर बाद ब्लैक सी में क्रैश हो गया।

घटना के बाद अमेरिका और रूस में जबरदस्त तनाव है। दोनों ही देश इसका मलबा तलाश रहे हैं। अब अमेरिकी एयरफोर्स ने इस घटना का वीडियो जारी किया है।

ड्रोन में लगे कैमरे ने वीडियो पेंटागन को भेजा
वीडियो में एक ही Su-27 नजर आता है। इस वीडियो को रीपर पर लगे हाईटेक सर्विलांस कैमरों ने ही शूट किया और इसे रियल टाइम मॉनिटरिंग के तहत पेंटागन के लैब ऑफ इन्फॉर्मेटिक्स में भेज दिया।

पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिग ने रूस की इस हरकत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।
पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिग ने रूस की इस हरकत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।

क्या है मामला

  • मंगलवार को ब्लैक सी (काला सागर) के ऊपर अमेरिकी ड्रोन MQ-9 रीपर सर्विलांस कर रहा था। यह इंटरनेशनल एयरस्पेस है। अमेरिका ने कहा- दो रशियन Su-27 फाइटर जेट्स ने अमेरिकी ड्रोन को 40 मिनट तक घेरा और फिर ऊपर से फ्यूल गिराया। इससे ड्रोन के प्रोपेलर को नुकसान पहुंचा। इसके बाद ड्रोन ब्लैक सी में क्रैश हो गया, क्योंकि फ्यूल जाने से इसके इंजन ने काम करना बंद कर दिया था।
  • इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ गया। US एयरफोर्स के जनरल जेम्स हैकर ने रूस की हरकत को बेहद गैरजिम्मेदार और भड़काऊ बताया। उधर, रूस ने अमेरिका के आरोपों से इनकार किया। उसने कहा- यह महज एक हादसा है। हम मलबा तलाशने में अमेरिका की मदद करेंगे। इसके लिए हमारे पास अमेरिका और नाटो से ज्यादा बेहतर तकनीक है।
  • ब्लैक सी यूरोप और एशिया के बीच स्थित है। यह उत्तर दिशा में यूक्रेन, उत्तर-पश्चिम में रूस, पूर्व में जॉर्जिया, दक्षिण में तुर्किये और पश्चिम में बुल्गारिया और रोमानिया से घिरा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ब्लैक सी में पिछले कई महीनों से तनाव बना हुआ है। यहां रूसी और अमेरिकी विमान अक्सर उड़ान भरते रहते हैं, लेकिन यह पहली बार हुआ है जब दोनों विमान आमने-सामने आ गए।
रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव ने पहले रीपर ड्रोन गिराने से इनकार किया था।
रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव ने पहले रीपर ड्रोन गिराने से इनकार किया था।

अमेरिका ने कहा- हम उसे ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह गलत हाथों में न लगे
अमेरिका ने कहा- अनआर्म्ड रीपर ड्रोन रूटीन गश्त पर था। यूक्रेन के क्रीमिया से करीब 128 किमी दक्षिण-पश्चिम में दो रूसी Su-27 फाइटर जेट्स करीब 40 मिनट तक अमेरिकी रीपर ड्रोन के आसपास उड़ान भर रहे थे।

कुछ देर बाद ये फाइटर जेट्स रीपर के ऊपर उड़ान भरने लगे और ड्रोन को नीचे जाने के लिए मजबूर किया। यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद पहली बार अमेरिका और रूस में सीधा टकराव हुआ है। गिरे हुए ड्रोन को बरामद नहीं किया जा सका है। हम उसे खोज रहे हैं, ताकि वह गलत हाथों में न लगे।

रूसी राजदूत ने कहा- अमेरिका से टकराव नहीं चाहते

  • रूस ने अमेरिका के आरोपों को गलत ठहराया है। रूस का कहना है कि अमेरिकी ड्रोन ने करतब दिखाते हुए टर्न लिया, जिससे वह क्रैश हो गया। वह रूसी एयरक्राफ्ट्स से संपर्क में भी नहीं आया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा कि MQ-9 रीपर ड्रोन ने उड़ान के दौरान अपने ट्रांसपोन्डर्स बंद कर दिए थे, ताकि उसे कोई ट्रैक न कर सके।
  • उधर, अमेरिका ने रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव को तलब किया। अमेरिका के विदेश मंत्रालय पहुंचकर रूसी राजदूत ने कहा कि अमेरिकी विमानों का रूसी सीमा के पास होने से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि रूस अमेरिका से टकराव नहीं चाहता है।

ड्रोन क्या है

  • चालकरहित विमान यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) को ही आसान शब्दों में ड्रोन कहते हैं। पिछले 30 साल से ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। न केवल मिलिट्री सर्विलांस के लिए बल्कि फिल्म बनाने, किसी इलाके की मैपिंग और अब तो सामान की डिलीवरी में भी। जहां तक मिलिट्री सर्विलांस का सवाल है तो इसकी शुरुआत 1990 के दशक में अमेरिका ने ही की थी।
  • मिलिट्री टेक्नोलॉजी के एडवांसमेंट के साथ ही ड्रोन का इस्तेमाल दुश्मन को मार गिराने में भी होने लगा। 1999 के कोसोवो वॉर में सर्बिया के सैनिकों के गुप्त ठिकानों का पता लगाने के लिए पहली बार सर्विलांस ड्रोन का इस्तेमाल हुआ था। 2001 में अमेरिका 9/11 के हमले के बाद ड्रोन हथियारों से लैस हो गया। उसके बाद तो जैसे यह सबसे एडवांस हथियार के तौर पर विकसित हो रहा है।