पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंसिंगापुर के लिटिल इंडिया में 1953 में बना ऐतिहासिक गांधी मेमोरियल 2019 के बाद से सूना पड़ा था। इसे चलाने वाली सिंगापुर की हिन्दी सोसायटी की लीज खत्म हो गई थी। मेमोरियल ट्रस्ट के सामने पशोपेश वाली स्थिति थी कि इसका संचालन किस प्रकार से किया जाए, जिससे कि महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े पहलुओं और भारत की सांस्कृतिक विरासत से आने वाले पीढ़ियों को रू-ब-रू कराया जाए।
ट्रस्ट ने मेमोरियल को चलाने का जिम्मा सिंगापुर फाइन आर्ट्स सोयायटी (एसआईएफएएस) को साैंपा। ट्रस्ट के 88 साल के सदस्य हैदर सिथावाला का कहना है कि पुरानी इमारत की मरम्मत कराना बड़ी चुनौती थी। साथ ही यहां रखी महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी चीजों की सारसंभाल भी करनी थी। पिछले साल मई-सितंबर तक यहां की गई मरम्मत के बाद मेमोरियल की रौनक लौट आई है।
मेमोरियल की छत की वॉटर प्रूफिंग की गई, छह स्टूडियो बनाए गए। साथ ही सौ लोगों के बैठने की क्षमता वाले अत्याधुनिक ऑडिटोरियम का निर्माण भी किया गया। एसआईएफएएस का मानना है कि इस मेमोरियल के द्वारा महात्मा गांधी के सिद्धांतों से लोगों का साक्षात कराना जरूरी है। ट्रस्टी श्रीनिवास राय और पीओ राम का कहना है कि मेमोरियल के जीर्णोद्धार के जरिए हम दक्षिण पूर्वी एशिया में महात्मा गांधी की यादों काे बरकरार रखना चाहते हैं। अब इस मेमोरियल में आकर लोग महात्मा गांधी के जीवन वृत्त और भारतीय संस्कृति को देख सकते हैं।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.