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डाउनलोड करेंपाकिस्तान में सत्ता में बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। पाक सेना मौजूदा पीएम इमरान खान का विकल्प तलाश रही है। इस दिशा में सेना और पूर्व पीएम नवाज शरीफ के बीच सुलह की कोशिशें तेज हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ को संसद से आजीवन बेदखल कर दिया था। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 62-1(एफ) के तहत सजा सुनाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट का बार एसोसिएशन इस अनुच्छेद के ऐसे इस्तेमाल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा।
एसोसिएशन के अध्यक्ष एहसान भून बताते हैं कि इस अनुच्छेद में सांसदों को ताउम्र बेदखल करने का प्रावधान ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में ट्रायल कोर्ट का काम करता है और अभियुक्त को आगे अपील करने का मौका ही नहीं मिलता, जो मौलिक अधिकारों का हनन है। हालांकि भून कहते हैं कि इस मामले को चुनौती देने के पीछे कोई राजनीतिक तार नहीं है। पर सूत्रों का कहना है कि यह सेना और नवाज की पार्टी के बीच सुलह को दर्शाती है।
पाक के वरिष्ठ पत्रकार नजम सेठी बताते हैं,‘इस कवायद से पता चलता है कि देश की राजनीतिक हवा शरीफ के पक्ष और खान के विरोध में है। सुप्रीम कोर्ट भी अपनी विश्वसनीयता को बहाल करने में जुट गया है।’ अगस्त 2017 से मई 2018 तक पाक पीएम रहे शाहिद खाकन अब्बासी बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट मानवाधिकारों के विरुद्ध इस कानून के दुरुपयोग पर रोक लगा सकता है।
उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नून को लगता है कि शरीफ को इसी माह सारे आरोपों से मुक्त किया जा सकता है। अब्बासी ने बताया कि ‘चीफ जस्टिस गुलजार अहमद 1 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं और वे इस कानून को निरस्त करके ही रुखसत होना चाहेंगे। ऐसा हुआ तो शरीफ फिर पाक पीएम बन सकते हैं।’
यह समीकरण इशारा करता है कि इमरान व बाजवा के बीच का संघर्ष इस साल चुनावों से परवान चढ़ेगा और शरीफ की दोबारा ताजपोशी होगी। सेठी कहते हैं, ‘इमरान और बाजवा के बीच जो भरोसे की कमी है, वो शरीफ के समय भी थी। हाल के निकाय चुनावों में इमरान को अपने गढ़ खैबर में मिली हार के बाद कयास लग रहे हैं कि सेना ने चुनावों से हाथ खींच लिए हैं। संदेश यह भी है कि आगे भी दखल नहीं होगा।
उधर, शरीफ चाहते हैं कि पाक लौटने पर उनकी गिरफ्तारी न हो। बाजवा कार्यकाल बढ़ाने या सुरक्षित रिटायर होने की आस में हैं और चाहते हैं कि मुशर्रफ की तरह उन पर देशद्रोह का केस न चले। तीन जज मान चुके हैं कि शरीफ पर दबाव में हुई कार्रवाई: चुनाव जीतने से पहले मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी के सदस्य जहांगीर तरीन भी ऐसे ही केस में फंस चुके थे।
पाक के लोग मानते हैं कि साजिश के तहत इमरान को बरी कर दिया गया था, पर तरीन को बेदखल कर दिया गया। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शौकत सिद्दीकी ने कुछ समय पहले यह कहकर सनसनी पैदा कर दी थी कि आईएसआई के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल फैज हमीद ने शरीफ के केस पर निष्पक्ष फैसला न करने का दबाव डाला था। इसके बाद उनकी नौकरी चली गई।
यही हश्र नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो के जज अशरफ शरीफ के साथ हुआ था, जब उन्होंने यह कहा था कि शरीफ पर कार्रवाई कानून सम्मत नहीं थी। पूर्व चीफ जस्टिस साकिब निसार पर आरोप है कि उन्होंने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जज को निर्देश दिए थे कि वे शरीफ और उनकी बेटी मरियम को 2018 के चुनाव से पहले जमानत ना दें। निसार कह चुके हैं कि कि इमरान को पीएम बनाने के लिए शरीफ को दोषी ठहराना जरूरी था।
इमरान और बाजवा एक-दूसरे के खिलाफ जमीन तैयार कर रहे
हाल ही में इमरान के खेमे से यह बात लीक हुई कि उन्होंने दो फाइलें साइन करके सुरक्षित कर ली हैं। एक बाजवा को बर्खास्त करने की है और दूसरी संसद भंग करने की। वहीं जनरल के खेमे से बात निकली है कि इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तैयार है। चर्चा यह भी है कि इमरान नहीं सुधरते हैं तो देश की बागडोर सेना अपने हाथ में ले लेगी।
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