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डाउनलोड करेंअखबार में छपे विज्ञापनों की विश्वसनीयता सर्वाधिक होती है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार- ग्राहक सोशल मीडिया एडवर्टाइजिंग की तुलना में आज भी अखबार, टीवी, रेडियो पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं। इन सभी माध्यमों में भी अखबार सबसे आगे है। जहां सबसे ज्यादा 82% लोगों ने प्रिंट पर भरोसा जताया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह स्टडी इसलिए भी चौंकाती है, क्योंकि जहां पिछला दशक डिजिटल मार्केटिंग टेक्नोलॉजी के नाम रहा। वहीं अब इंटरनेट से अपनी सौ फीसदी सेल करने वाली कंपनियां भी परंपरागत विज्ञापनों (अखबार, टीवी-रेडियो) पर अपना खर्च अगले 12 माह में 11.7% बढ़ाने वाली हैं।
विज्ञापनों के परंपरागत माध्यमों में इन वजहों से ग्रोथ आएगी
डिजिटल एड लोगों को पसंद नहीं आते
हब स्पॉट का सर्वे कहता है 57% लोग वीडियो से पहले विज्ञापन को नापसंद करते हैं। 43% तो इसे देखते भी नहीं हैं। जब वे कोई आर्टिकल पढ़ते हैं या वेबसाइट पर जाते हैं तो डिजिटल विज्ञापन बाधा खड़ी करता है। इससे ब्रांड के प्रति निगेटिविटी खड़ी हो जाती है।
थर्ड पार्टी कुकीज का अंत निकट
थर्ड पार्टी कुकीज... जिससे यूजर के लिए उसकी रुचि, सर्च के आधार पर विज्ञापन दिखते हैं। थर्ड पार्टी कुकीज का अंत अब निकट है। गूगल 2023 के अंत तक क्रोम से इन्हें हटा देगा। एपल भी ऐसा कर रहा है। CMO सर्वे कहता है कि यही वजह है कि 19.8% कंपनियों ने अब परंपरागत एडवर्टाइजिंग में ज्यादा निवेश किया है।
ब्रांड की विश्वसनीयता में अखबार सबसे आगे
मार्केटिंग शेरपा के सर्वे के मुताबिक- आज भी विज्ञापनों के मामले में अखबारों पर सर्वाधिक लोगों का भरोसा है। एबिक्यूटी की रिसर्च के अनुसार- अखबार, टीवी और रेडियो डिजिटल चैनल्स की तुलना में रीच, एंगेजमेंट और अंटेशन के स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
जहां ऑनलाइन विज्ञापनों की दर बढ़ी है, परंपरागत मीडिया में घटी है। मार्केटिंग शेरपा की रिपोर्ट बताती है- आधे से ज्यादा कंज्यूमर अखबार में छपने वाले विज्ञापनों को रुचि के आधार पर देखते हैं। वहीं डिजिटल ऐड से यूजर परेशान होता है।
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