पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर

डाउनलोड करें

अमेरिका मिड टर्म इलेक्शन:सीनेट में बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी का कंट्रोल, हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में ट्रम्प की रिपब्लिकन आगे

वॉशिंगटन6 महीने पहले
  • कॉपी लिंक

अमेरिकी मिड टर्म इलेक्शन में बाइडेन की डेमोक्रेटिक ने सीनेट (अपर हाउस) में 50 सीटें जीच ली हैं। अब अमेरिका संसद के अपर हाउस में डेमोक्रेट्स का कंट्रोल होगा। सीनेट में मिली जीत को लेकर प्रेसिडेंट बाइडेन ने कहा- मुकाबला कड़ा था। लेकिन मैं इस बात से बिल्कुल हैरान नहीं हूं कि जीत हमारी हुई। मुझे बहुत खुशी है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव (लोअर हाउस) में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच अब भी कड़ा मुकाबला है। यहां ट्रम्प की रिपब्लिकन आगे है। उनके पास 211 सीटें हैं। बहुमत के लिए 218 सीटें चाहिए। वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी 204 सीटें ही जीत पाई है।

राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा- जनता ने रिपब्लिकन वेव के दावे को खारिज कर दिया। ये नतीजे लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत हैं।
राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा- जनता ने रिपब्लिकन वेव के दावे को खारिज कर दिया। ये नतीजे लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत हैं।

संसद को दोनों सदनों के काम पर एक नजर
भारत की तरह अमेरिका में भी संसद ही कानून बनाती है। हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव तय करता है कि किन कानूनों पर वोटिंग होगी। इसके बाद सीनेट उन कानूनों को अप्रूव या ब्लॉक करता है। इसके साथ ही सीनेट राष्ट्रपति ने जिन लोगों को नियुक्त किया है उन्हें कन्फर्म करता है। यहां तक की जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति के खिलाफ जांच भी सीनेट ही करता है।

बाइडेन के लिए लोअर हाउस में भी जीत अहम
बाइडेन के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में जीत भी अहम है। यदि उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी यहां बहुमत खो देते हैं तो वो काफी कमजोर हो जाएंगे। उन्हें हर बड़ा फैसला लेने के लिए संसद में विपक्ष यानी डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के भरोसे रहना होगा।

ऐसा इसलिए क्योंकि हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में जिस भी पार्टी की जीत होती है उस पार्टी का संसद में दबदबा होता है। वही पार्टी कानून बनाने में ज्यादा अहम रोल अदा करती है। अब अगर यहां ट्रम्प की पार्टी जीत गई तो वो तय करेगी कि किन कानूनों पर वोटिंग होगी। इसके अलावा वो बाइडेन के एजेंडों पर रोक लगा सकती है। साथ ही उनके पास इन्वेस्टिगेटरी कमेटी का कंट्रोल होगा। इससे वो 6 जनवरी 2021 को हुई US कैपिटल हिंसा मामले में चल रही जांच खत्म कर सकेंगे।

ट्रम्प 15 नवंबर को 2024 के चुनाव लड़ने का ऑफिशियल अनाउंसमेंट कर सकते हैं
सिओक्स सिटी में एक रैली में ट्रम्प ने साफ कर दिया कि वो 2024 में होने वाले US प्रेसिडेंट इलेक्शन में उतरने का मन बना रहे हैं। उन्होंने कहा- देश को सुरक्षित बनाने के लिए, मैं दोबारा चुनाव में खड़ा हो सकता हूं। मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि आप सब तैयार हो जाएं। इसके पहले भी एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- मेरे चुनाव लड़ने से बहुत लोगों को खुशी होगी। सब चाहते हैं कि मैं इलेक्शन में खड़ा हो जाऊं। मेरी पॉपुलैरिटी ज्यादा है। मैं, प्रेसिडेंट कैंडिडेट पर किए जाने वाले हर तरह के पोल और सर्वे में भी आगे हूं।

मिड टर्म इलेक्शन कैंपेन के दौरान एक रैली में ट्रम्प ने कहा कि वो 2024 में चुनाव लड़ने की तैयारियां कर रहे हैं।
मिड टर्म इलेक्शन कैंपेन के दौरान एक रैली में ट्रम्प ने कहा कि वो 2024 में चुनाव लड़ने की तैयारियां कर रहे हैं।

इस बार लोकतंत्र मजबूत हुआ
चुनाव परिणामों से अमेरिकी लोकतंत्र स्वस्थ और अधिक सुरक्षित होकर सामने आया है। अगले दो साल तक सरकारी कार्यक्रमों के लिए धन की मंजूरी के मामलों में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के बीच संसद में खींचतान होगी। अमेरिकी की वास्तविक समस्याओं का कोई हल नहीं निकलेगा।

प्रतिनिधि सदन में मामूली बहुमत हासिल करने की वजह से 2024 के लिए ट्रम्प की दावेदारी खत्म नहीं होगी। दूसरी ओर बाइडेन के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने में संदेह है। उनकी सरकार ने कई गलत फैसले किए हैं।

डोनाल्ड ट्रम्प के कई कट्‌टर समर्थक चुनाव हारे
ट्रम्प के लिए मिड टर्म इलेक्शन से उबरना मुश्किल होगा। एरिजोना, जार्जिया, नेवादा और पेनसिल्वानिया में ट्रम्प के चुने गए उम्मीदवार सीनेट के आसान चुनाव कांटे की लड़ाई में नहीं जीत पाए हैं। इस बीच, पार्टी में राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के लिए ट्रम्प के संभावित प्रतिद्वंद्वी फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डी सेंटिस बमुश्किल 20 अंक से जीत सके हैं।

ट्रम्प के कट्‌टर समर्थक डग मेस्ट्रिआनो, पेनसिल्वानिया और टिम मिचेल्स, विस्कांसिन में हार गए हैं। मिशिगन, नेवादा में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट पद के चुनाव हार गए हैं। चुनाव कराने में इस पद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये सभी प्रत्याशी पिछले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प की हार को धांधली बता रहे थे।