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डाउनलोड करेंकोरोना में कई लोगों की नौकरियां गईं, काम-धंधे बंद हुए तो कई लोगों ने इस महामारी को अवसर में भी बदला। मध्य प्रदेश के सागर के रहने वाले शिवांश जैन तब ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे। लॉकडाउन लगा तो उन्हें अपनी जरूरत की चीजों को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मार्केट बंद थे और कोरोना की डर से कोई डिलीवरी के लिए तैयार नहीं था। शिवांश को रियलाइज हुआ कि यह परेशानी सिर्फ उनके साथ नहीं है। देश में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें अपनी जरूरत की चीजों के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
फिर क्या था शिवांश ने पहली लहर के बाद घर से ही फूड प्रोडक्ट की मार्केटिंग शुरू कर दी। आज वे देशभर में हर्बल फूड प्रोडक्ट, स्किन केयर प्रोडक्ट और ईकोफ्रेंडली प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं। इससे हर महीने 1 लाख रुपए का उनका बिजनेस हो रहा है।
24 साल के शिवांश कहते हैं कि कोरोना के बाद हर्बल प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है। लोग ऐसे प्रोडक्ट की डिमांड कर रहे हैं जिससे इम्यूनिटी अच्छी हो। तब मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर रिसर्च किया तो पता चला कि काले गेहूं का आटा और हर्बल टी इम्यूनिटी बूस्ट करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके बाद मैंने उन किसानों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की जो इस तरह के प्रोडक्ट की खेती करते थे। मध्य प्रदेश के ही अलग-अलग जिलों में मुझे ऐसे किसान मिल गए जो काले गेहूं की खेती कर रह थे। कई किसान ऐसे भी मिले जो हर्बल प्रोडक्ट, यानी अश्वगंधा, शंखपुष्पी, ब्राह्मी भी उगाते थे।
50 हजार रुपए से की बिजनेस की शुरुआत
शिवांश बताते हैं कि इन किसानों से मिलने के बाद मैंने कुछ प्रोडक्ट खरीदे और सागर लौट आया। यहां आने के बाद एक चक्की मशीन खरीदी और घर पर ही उसे सेट कर दिया। इसके बाद काले गेहूं से आटा तैयार किया और उसकी मार्केटिंग करने लगा। पहले हमने लोकल मार्केट में सप्लाई किया और बाद में दूसरे जिलों में भी भेजने लगे। तब ऐसे प्रोडक्ट की डिमांड ज्यादा थी, लिहाजा अच्छा रिस्पॉन्स भी मिलने लगा।
जहां तक बजट की बात है, शिवांश कहते हैं कि हमने बहुत ही लिमिटेड बजट से अपना काम शुरू किया था। शुरुआत में सिर्फ एक क्विंटल गेहूं खरीदा था जो करीब 4 हजार रुपए में मिला। फिर चक्की मशीन खरीदी और सेटअप जमाया। इसके बाद फूड लाइसेंस की प्रोसेस पूरी की। इसमें करीब 50 हजार रुपए खर्च हुए।
सोशल मीडिया और ऑनलाइन वेबसाइट से मिली रफ्तार
भास्कर से बात करते हुए शिवांश कहते हैं कि पहले तो हम लोग सागर और उसके आसपास के जिलों में ऑफलाइन मार्केटिंग कर रहे थे। हमने कुछ दुकानों से टाइअप किया था, जिसे हम अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रहे थे। इसके बाद जब लॉकडाउन में छूट मिली तो हमने अलग-अलग जगहों पर अपने स्टॉल लगाकर भी प्रोडक्ट बेचना शुरू कर दिया। हालांकि, कुछ दिनों बाद फिर से कोरोना फैलने लगा और हमें स्टॉल बंद करना पड़ा। तब हमने सोशल मीडिया का सहारा लिया और उसके जरिए अपने प्रोडक्ट की सप्लाई करने लगे। इससे हमारा दायरा बढ़ने लगा।फिर हमने livingsoul.in नाम से अपने वेबसाइट रजिस्टर की। इससे हमारे स्टार्टअप को रफ्तार मिली और मध्य प्रदेश के बाहर से भी लोग ऑर्डर करने लगे।
डिमांड बढ़ी तो प्रोडक्ट का दायरा भी बढ़ा दिया
शिवांश कहते हैं कि काले गेहूं के आटे की डिमांड बढ़ी तो हमने हर्बल टी लॉन्च किया। इसमें अश्वगंधा, शंखपुष्पी, ब्राह्मी सहित 12 नेचुरल इंग्रीडिएंट्स हैं। इसे हम लोग खुद ही तैयार करते हैं। सागर में हमने छोटी सी यूनिट भी लगाई है। इसके बाद हमने ऐसे लोगों से कॉन्टैक्ट करना शुरू किया जो अलग-अलग कैटेगरी में इस तरह के नेचुरल प्रोडक्ट बनाते थे। जैसे कुछ लोग स्किन केयर प्रोडक्ट बनाते हैं तो कुछ लोग ईकोफ्रेंडली होम डेकोर आइटम्स बनाते हैं। हमने ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ा और उनके प्रोडक्ट को खुद के ब्रांड के जरिए बेचना शुरू कर दिया। इससे हमें काफी बढ़िया रिस्पॉन्स मिला।
फिलहाल शिवांश फूड प्रोडक्ट, स्किन केयर प्रोडक्ट और ईकोफ्रेंडली होम डेकोर आइटम्स के दर्जनभर से ज्यादा प्रोडक्ट की मार्केटिंग करते हैं। जिसमें फूड प्रोडक्ट वे खुद बनाते हैं, जबकि बाकी प्रोडक्ट वे आउट सोर्स करते हैं। होम डेकोर आइटम्स वे मणिपुर से लाते हैं, जो वहां के लोकल कारीगर तैयार करते हैं। अभी शिवांश की टीम में 5 लोग काम करते हैं। जिसमें उनके दोस्त हरिओम और माही काफी सपोर्ट करते हैं। इसके साथ ही उन्हें सागर इन्क्यूबेशन सेंटर से भी सपोर्ट मिलता है। इस वजह से उन्हें फंडिंग में दिक्कत नहीं होती है। अभी हर महीने उन्हें करीब 500 से ज्यादा ऑर्डर मिल रहे हैं।
अगर आप इस तरह का स्टार्टअप प्लान कर रहे हैं तो क्या करना चाहिए?
शिवांश कहते हैं कि अगर कोई इस तरह का स्टार्टअप शुरू करना चाहता है तो सबसे पहले उद्योग आधार पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा। यह बेहद ही आसान प्रोसेस होता है। करीब 7 से 10 दिनों में रजिस्ट्रेशन हो जाता है। इसके लिए जरूरी डॉक्युमेंट भी बेसिक होते हैं। यानी आधार कार्ड, पैन कार्ड और बाकी पर्सनल डिटेल्स जमा करने के बाद रजिस्ट्रेशन हो जाता है। इसके बाद आप अपने फूड प्रोडक्ट के लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए FSSAI की साइट पर जाकर ऑनलाइन रजिस्टर किया जा सकता है। सब कुछ सही रहा तो 10 दिनों के भीतर लाइसेंस मिल जाता है। इसकी फीस भी बेहद कम होती है।
वे कहते हैं कि लाइसेंस मिलने के बाद आप अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर सकते हैं। आगे जब बिजनेस रफ्तार पकड़ ले और अच्छी आमदनी होने लगे तो आप अपने कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड के रूप में बदल सकते हैं। इससे फंडिंग में आसानी होती है।
ये स्टोरी आपके काम की है, जरूर पढ़ें
पिछले कुछ सालों में हर्बल प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है। छोटे शहरों के साथ ही बड़े शहरों में भी लोग इस तरह के प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। यही वजह है कि इस सेक्टर में नए-नए स्टार्टअप भी उतर रहे हैं और बेहतर कमाई भी कर रहे हैं। राजस्थान के जयपुर में रहने वाले मुकेश कुमार बहरोड ने 5 साल पहले ही इस अवसर को भांप लिया था और सरकारी नौकरी छोड़कर हर्बल प्रोडक्ट का स्टार्टअप शुरू कर दिया था। हालांकि, बड़े लेवल पर उन्हें कामयाबी कोविड के बाद मिली। फिलहाल वे देशभर में ऑफलाइन और ऑनलाइन लेवल पर हर्बल प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं। उनका सालाना टर्नओवर 4 करोड़ रुपए है। (पढ़िए पूरी खबर)
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