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डाउनलोड करेंदुनिया में पहली बार इंसान के अंदर सूअर का दिल लगाया गया है। ये कारनामा किया है अमेरिका के डॉक्टर्स ने, जिन्होंने एक 57 वर्षीय व्यक्ति में सफलतापूर्वक सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया है। मेडिकल जगत में इसे एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जो ऑर्गन ट्रांसप्लांट की कमी से जूझ रही दुनिया के लिए एक नई उम्मीद जगाने वाला कदम है। दुनिया भर में हर दिन ऑर्गन ट्रांसप्लांट की कमी की वजह से सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है।
चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे पहली बार इंसान में लगाया गया सूअर का दिल? क्यों ये खोज है दुनिया के लिए एक नई उम्मीद? क्यों इससे बदल सकती है ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सूरत?
दुनिया में पहली बार इंसान में ट्रांसप्लांट हुआ सूअर का दिल
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिसिन (UMM) के डॉक्टरों ने 07 जनवरी को मैरीलैंड के एक 57 वर्षीय व्यक्ति डेविड बेनेट में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया है। दुनिया में ये पहली बार है जब किसी इंसान में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया है।
हालांकि, पहले भी सूअर के हार्ट वॉल्व का इस्तेमाल इंसान के वॉल्व बदलने के लिए किया जाता रहा है, लेकिन पहली बार सूअर के दिल का ट्रांसप्लांट किया गया है।
क्यों इंसान में लगाया गया सूअर का दिल?
अमेरिका के जिस डेविड बेनेट नामक व्यक्ति में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया है, उसके पास जिंदा रहने के लिए और कोई विकल्प ही नहीं था।
दरअसल, हार्ट फेल्योर और दिल की धड़कन असामान्य होने की वजह से बेनेट में मानव दिल का ट्रांसप्लांट संभव ही नहीं था। ऐसे में बेनेट की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने अंत में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया।
बेनेट ने कहा, "ये ऐसे था कि या तो मरो या फिर ये ट्रांसप्लांट करो। मैं जीना चाहता हूं। मुझे पता है कि यह अंधेरे में निशाना लगाने जैसा है, लेकिन यही मेरी आखिरी पसंद है।''
कैसे काम कर रहा है इंसान में ट्रांसप्लांट हुआ सूअर का दिल?
डेविड बेनेट में सूअर के दिल का ट्रांसप्लांटेशन करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि इस ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी के तीन दिन बाद बेनेट का स्वास्थ्य अच्छा है और ट्रांसप्लांट किया गया सूअर का दिल सामान्य तरीके से काम कर रहा है। ये दिल इंसान के दिल जैसा ही पल्स और प्रेशर क्रिएट कर रहा है।
सूअर के दिल में किए गए कौन से बदलाव?
अमेरिकी व्यक्ति में सूअर के दिल को ट्रांसप्लांट करने के लिए सूअर के जीन में कुल 10 बदलाव किए गए।
द न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सूअर के दिल को अमेरिकी फर्म रेविविकोर (Revivicor) ने विकसित किया। रिसर्चर्स ने हार्ट ट्रांसप्लांट से पहले सूअर के जींस में 10 बदलाव किए।
इसके लिए जीन एडिटिंग तकनीक का सहारा लिया गया। सूअर के इस जेनेटिकली मॉडिफाई दिल को अमेरिकी व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया गया।
दरअसल, इंसान का शरीर किसी बाहरी अंग को ट्रांसप्लांट किए जाने पर उसे बाहरी तत्व मानकर रिजेक्ट कर देता है, ऐसे में ट्रांसप्लांट फेल होने का खतरा रहता है। इसलिए बेनेट में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए सूअर के दिल में जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए तीन जींस में बदलाव करके उसे ट्रांसप्लांट के लिए फिट बनाया गया।
क्या होता है ऑर्गन ट्रांसप्लांट का सबसे बड़ा खतरा?
जब भी इंसान के शरीर में कोई अंग ट्रांसप्लांट किया जाता है, तो इंसान का शरीर उस अंग को बाहरी मानता है।
क्या है जानवरों के अंगों का मानव में ट्रांसप्लांट
दुनिया में वैसे तो पहली बार इंसान के शरीर में सूअर के दिल का ट्रांसप्लांट किया गया है। लेकिन इससे पहले भी खरगोश, बंदर और लंगूर जैसे कई जानवरों के अंगों को इंसान में ट्रांसप्लाट किए जाने की कोशिशें हो चुकी हैं।
क्यों इंसान में सूअर के हार्ट ट्रांसप्लांट से जगी भविष्य की उम्मीद
हर साल हजारों लोगों की ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतजार में मौत हो जाती है। दरअसल, दुनिया में हर साल लाखों लोगों को किडनी, लिवर या दिल जैसे अंगों के ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।
इन अंगों के डोनर की कमी की वजह से व्यक्ति की इलाज के अभाव में मौत हो जाती है। ऐसे में जिनोट्रांसप्लांटेशन, यानी सूअर या अन्य जानवरों के अंगों का इंसानों में ट्रांसप्लांट अगर सफल होता है तो हर साल हजारों इंसानों की जान बचाई जा सकेगी।
सूअर के अंग क्यों हैं इंसान में ट्रांसप्लांटेशन के लिए सही?
19वीं सदी में जिनोट्रांसप्लांटेशनइस क्षेत्र में काफी काम हुआ। वैज्ञानिकों ने खरगोश, बंदर से लेकर लंगूर तक के अंगों को इंसानों में ट्रांसप्लांट किए, लेकिन 1990 के बाद वैज्ञानिकों ने जिनोट्रांसप्लांटेशन के लिए सूअर को सबसे बेहतरीन विकल्प माना।
सूअर लंबे समय से इंसानों में संभावित ट्रांसप्लांट का प्रमुख विकल्प माने जाते रहे हैं, क्योंकि सूअर के जींस मनुष्यों से काफी मिलते हैं। जैसे-सूअर का दिल एक वयस्क मानव दिल के आकार के बराबर होता है।
साथ ही इंसानों में सूअरों के कई अन्य अंगों जैसे- किडनी, लिवर और फेफड़े आदि को ट्रांसप्लांट किए जाने को लेकर भी रिसर्च जारी है।
भारत में हर साल ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतजार में होती है हजारों की मौत
भारत में हर साल किडनी, लिवर या हार्ट ट्रांसप्लांट जैसे ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतजार में लाखों लोगों की मौत हो जाती है।
अमेरिका जैसे देशों का हाल भी है बेहाल
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