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डाउनलोड करेंसाल 2019 की 14 फरवरी। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक भयंकर विस्फोट हुआ। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी CRPF के 78 जवानों के काफिले को निशाना बनाया गया। इस हमले में हमारे 40 जवान शहीद हुए। पूरा देश गमजदा था, इसी बीच पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ले ली। यह लोकसभा चुनाव का समय था तो माहौल में और अधिक गहमागहमी थी।
दो सप्ताह के भीतर 48 साल बाद भारतीय वायुसेना ने नियंत्रण रेखा यानी LoC पार कर पाकिस्तान के पूर्वोत्तर इलाके खैबर पख्तूनख्वाह के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। इसे ऑपरेशन बंदर नाम दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस दौरान भारतीय सेना के मिराज विमानों ने 150-200 आतंकियों को ढेर किया था। मरने वालों में जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के साले समेत तकरीबन एक दर्जन बड़े आतंकी शामिल थे।
वायुसेना की इस एयर स्ट्राइक के चार साल पूरे होने पर आज हम इसकी पूरी कहानी बताएंगे कि कैसे इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया
सबसे पहले सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में जानते हैं
सर्जिकल स्ट्राइक सेना द्वारा किया जाने वाला विशेष प्रकार का हमला होता है। इसमें समय, स्थान, जवानों की संख्या सहित आम लोगों का नुकसान न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। अगर सर्जिकल स्ट्राइक वायुसेना कर रही है तो उसकी कोशिश रहती है कि सटीक बमबारी की जाए और आसपास की इमारतों या जान-माल का कम से कम नुकसान हो। बालाकोट का ऑपरेशन बंदर इसी तरह की एक एयर स्ट्राइक थी।
21 मिनट में बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर लौट आए विमान
तारीख थी 26 फरवरी 2019। जगह- ग्वालियर, मध्य प्रदेश का एयर फोर्स बेस। रात 12 बजे वहां थोड़ी हलचल हुई और एक घंटे के भीतर रात 1:15 मिनट पर 20 मिराज 2000 विमान अचानक हवा में उड़े।
रात के 3:45 बजे कुल 12 मिराज विमानों ने पाकिस्तानी एसएएबी एयरबॉर्न वार्निंग और अन्य निगरानी करने वाली तकनीकों को चकमा दिया और पाकिस्तान में दाखिल हो गए।
इस दौरान चार विमान एस्काॅर्ट कर रहे थे और 5 ने पाकिस्तान के पूर्वोत्तर इलाके खैबर पख्तूनख्वाह के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों पर बमबारी की।
इसके अलावा मीका आरएफ और एयर टू एयर मिसाइलों से लैस चार मिराज तब तक रुके रहे, जब तक की हमारे सभी विमान वापस नहीं आ गए। इस पूरे आपरेशन में भारतीय सेना ने PoK में प्रवेश से लेकर भारत में लैंड होने तक मात्र 21 मिनट का समय लिया।
बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना बनाने और उसे अंजाम देने वालों में से एक एयर मार्शल हरि कुमार से तब दी प्रिंट ने बात की थी। उन्होंने बताया, ‘एयर स्ट्राइक का टार्गेट और प्लानिंग खुफिया जानकारियों के आधार पर तय की गई थी।’
भारत की प्लानिंग क्या थी?
पुलवामा हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया था। भारत ने बहुत संजीदगी से इसकी प्लानिंग की थी। स्ट्राइक में शामिल एयर मार्शल हरि कुमार फरवरी 2019 में ही रिटायर होने वाले थे। वो पश्चिमी एयर फील्ड के कमांडिंग इन चीफ (AOC-IN-C) थे।
उन्होंने दी प्रिंट से अपनी बातचीत में बताया कि पुलवामा हमले के तीन घंटे बाद उन्हें कॉल आई और फोन पर वायुसेना प्रमुख थे। उन्होंने पूछा कि क्या वो तैयार हैं? एयर मार्शल हरि कुमार का जवाब था, ‘हां, हम तैयार हैं।’
इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को सुबह 9 बजे कैबिनेट कमेटी की बैठक की और जवाबी कार्रवाई का फैसला लिया। प्रधानमंत्री की बैठक के दो दिनों के बाद 18 फरवरी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एक बैठक बुलाई। इस बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुख और रॉ के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
इस मीटिंग में पाकिस्तान के आतंकी हलचल और बॉर्डर के आसपास की गतिविधियों पर कुछ अति महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गईं। इनमें एक सूचना थी कि पाकिस्तान ने बॉर्डर के पास स्थित लॉन्चपैड और ट्रेनिंग कैंपों से आतंकियों को निकाल कर कहीं और शिफ्ट कर दिया है।
ग्वालियर एयर बेस को भी पता नहीं था
इस हमले में बहुत गोपनीयता बरती गई। विमानों ने जहां से उड़ान भरी, वहां के आला अधिकारियों को भी इस ऑपरेशन की भनक तक नहीं लगी। यहां तक की सेंट्रल एयर कमांड में आने वाले ग्वालियर एयरबेस के ऑफिसर इन्चार्ज को भी तब पता चला जब मिराज ने उड़ान भर ली।
एयर मार्शल हरि ने बताया कि उन्होंने खुद ही इसकी जानकारी दी।
जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने के आस-पास 200 मोबाइल एक्टिव थे
26 फरवरी को बालाकोट एयर स्ट्राइक हुई और फिर देश के तत्कालीन विदेश सचिव विजय गोखले ने अपने बयान से इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा, ‘इस गैर सैन्य कार्रवाई में बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप, संगठन के बड़े कमांडर और फिदायीन हमलों के लिए तैयार किए जा रहे आतंकियों को खत्म कर दिया गया है।’
इसी बीच, नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी NTRO ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिस वक्त ऑपरेशन बंदर को अंजाम दिया गया, जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने के आस पास 200 मोबाइल एक्टिव थे। उन्हें ट्रैक किया गया और वहां आतंकियों की मौजूदगी के सबूत पाए गए।
कितने आतंकियों की मौत हुई?
पाकिस्तान इस हमले से हुए नुकसान को नकारता रहा और मनगढ़ंत तर्क देता रहा। उसके अधिकारियों ने दावा किया कि इस ऑपरेशन में सिर्फ पेड़ों और जंगलों में बम बरसाए गए और लोगों को नुकसान नहीं पहुंचा।
इसी बीच stringerasia.it नामक एक वेबसाइट पर इटली की एक पत्रकार ने फ्रांसेस्का मैरिनो ने दावा किया कि बालाकोट के इस हवाई हमले में जैश-ए मोहम्मद के 130 से 170 आतंकियों की मौत हुई। उन्होंने अपने रिपोर्ट में कहा कि मरने वालों में 11 सीनियर आतंकी थे जो बम बनाने से लेकर हथियार चलाने तक का प्रशिक्षण देते थे। इनमें से दो आतंकियों ने अफगानिस्तान से ट्रेनिंग ली थी।
अपनी रिपोर्ट में फ्रांसेस्का मैरिना ने दावा किया था कि वो तड़के 3:30 बजे हुए हमले के ढाई घंटे बाद घटनास्थल के कुछ दूर सेना के एक शिविर में पहुंची थीं। उन्होंने लिखा, ‘पाकिस्तानी सेना ने घायलों को हमले के कुछ समय बाद ही शिंकियारी (नजदीकी इलाका) में स्थित हरकत-उल-मुजाहिदीन शिविर में लाया गया जहां उनका इलाज हुआ। इस दौरान कम से कम 20 आतंकियों की जान गई और 45 गंभीर रूप से घायल थे।’
पाकिस्तान ने क्या कहा था?
पाकिस्तान के लिए बालाकोट एयर स्ट्राइक सदमे से कम नहीं थी। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ गफूर ने स्ट्राइक के कुछ समय बाद ही सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर ट्वीट किया।
कहा गया कि भारत के लड़ाकू विमान नियंत्रण रेखा के पार आए और मुजफ्फराबाद सेक्टर में तीन-चार किलोमीटर भीतर घुस आए। यानी एयर स्ट्राइक की बात पाकिस्तान ने खुद ही स्वीकार की कि भारत के विमान आए थे।
वहीं बीबीसी की एक वीडियो रिपोर्ट में स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने देर रात एक के बाद एक के बाद एक कुल चार धमाके सुने। स्थानीय लोगों ने बताया कि बमबारी वाले दिन से ही ठिकाने की तरफ सेना तैनात कर दी गई और आम जनता के जाने पर रोक थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हेल्थ कमिश्नर ने इलाके में मौजूद अस्पताल में 60 बेड को रिजर्व रखवाया था। भारतीय सेना ने बताया था कि पाकिस्तान के उस मदरसे पर बमबारी की गई, जहां जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है।
हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मुहम्मद कुरैशी मीडिया के सामने आए और कहा कि भारत ने कोई नुकसान नहीं किया है। कहा, ‘फैसला किया गया है कि पाकिस्तानी और इंटरनेशनल मीडिया को वहां ले जाया जाए। हेलिकॉप्टर तैनात है, मौसम ठीक होते ही मौके पर ले जाया जाएगा।’
इस बयान को जब एक महीना बीत गया तब जाकर पाकिस्तान की सेना और आला अधिकारियों को अपने बयान की याद आई। पाकिस्तान की सेना ने रॉयटर्स, अल-जजीरा, बीबीसी समेत कई स्थानीय पत्रकारों की एक टुकड़ी को बालाकोट स्थित एक मदरसे का दौरा कराया।
महीने भर बाद हुए दौरे में क्या मिला?
पाकिस्तानी सेना के अधिकारी जब पत्रकारों को मदरसे में ले गए तो वहां कुछ बच्चे पढ़ रहे थे। वहां के मौजूद वीडियो में ये भवन साफ सुथरा दिख रहा था और नुकसान के कोई संकेत नहीं दिख रहे थे, लेकिन वहां मौजूद नोटिस बोर्ड पर उस मदरसे के महीने भर से बंद होने की बात लिखी थी।
वहां मौजूद पत्रकारों ने बताया कि पत्रकारों को सिर्फ वीडियो बनाने की अनुमति थी। बच्चों से बातचीत करने के दौरान उन्हें सेना के जवान रोक दे रहे थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि मदरसा मौजूदा हालात को देखते हुए महीने भर से बंद था। वहां पढ़ रहे बच्चे स्थानीय थे।
वहां पत्रकारों ने स्थानीय लोगों से बात की जिसमें एक ग्रामीण ने बताया कि उन्होंने चार धमाके सुने। उन्होंने बीबीसी को बताया, ‘हम सो रहे थे तभी आवाज आई। बाहर आए तो घर से 15 मीटर दूर धमाका हुआ। मैं और मेरी बीवी बैठे रहे। मेरे सिर और पैर में हल्की चोट आई।’
इस पूरी घटना के बाद उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों से बात करते हुए पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान नुकसान से इनकार कर रहा है। अगर उसने नुकसान का जिक्र भी किया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उससे पूछा जाएगा कि कितना नुकसान हुआ और गिराई गई इमारतों में कौन मौजूद था।
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