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डाउनलोड करेंकरदाता के रूप में आप कैपिटल गेन टैक्स को बचाने के बारे में जरूर सोचते होंगे। हम सभी जानते हैं कि इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स देना होता है। इसलिए इस बात को जानना भी बहुत जरूरी है कि कैपिटल गेन टैक्स को कैसे कम किया जा सकता है। क्लियर टैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता आपको इस बारे में बता रहे हैं।
1. हार्वेस्टिंग
हार्वेस्टिंग यानी फसल पकने पर उसे काट लेना। इस पद्धति का इस्तेमाल अपने मुनाफे को छूट की सीमा के भीतर रखने के लिए किया जा सकता है। अपने कुछ निवेश को तभी बेच दें जब मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की 1 लाख रुपए की सीमा के भीतर हो। ध्यान रहे कि कुछ निवेश (जैसे म्यूचुअल फंड) में एग्जिट लोड लागू होता है। इसलिए आपको रिडम्प्शन से पहले अपनी कुल आमदनी पर उसके प्रभाव का आकलन कर लेना चाहिए।
2. नुकसान सेट-ऑफ करें
जब हम शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो हमें नुकसान भी होता है। इन नुकसानों को उसी वित्तीय वर्ष के कैपिटल गेन से सेट-ऑफ कर दें यानी उस घाटे को मुनाफे के साथ समायोजित कर दें। कोई भी बचा हुआ घाटा अगले 8 सालों तक कैरी-फारवर्ड किया जा सकता है।
3. ग्रैंडफादरिंग क्लॉज
2018 में सरकार ने इक्विटी की बिक्री से हुए 1 लाख रुपए से अधिक के मुनाफे पर 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू किया था। ग्रैंडफादरिंग क्लॉज इसलिए शुरू किया गया ताकि जो मुनाफा टैक्स के लागू होने से पहले हुआ है उन्हें सुरक्षित किया जा सके। यदि आपने 1 फरवरी 2018 से पहले इक्विटी में निवेश किया है, तो आप आयकर अधिनियम में ग्रैंडफादरिंग क्लॉज का लाभ ले सकते हैं। इसके मुताबिक 31 जनवरी 2018 से आपके रिडम्प्शन की तारीख तक हुए मुनाफे ही कर-योग्य होंगे।
4. कैपिटल गेन छूट का दावा
आयकर अधिनियम करदाता को कैपिटल गेन पर छूट का दावा करने की अनुमति देता है। धारा 54ईसी के तहत करदाता भूमि या भवन जैसी अचल संपत्ति में निवेश से प्राप्त हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की छूट का दावा करने के लिए कैपिटल गेन बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, इन बॉन्ड्स में 5 सालों का लॉक इन पीरियड होता है, और इन पर लगभग 5% की ब्याज दर मिलती है। इसलिए निवेशक को इस बात का मूल्यांकन कर लेना चाहिए कि ऐसे कम रिटर्न वाले लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट उनके लिए ठीक हैं या नहीं।
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