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डाउनलोड करेंसिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) शेयर मार्केट में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के लिस्टिंग के टाइम को कम करना चाहती है। इसके लिए मार्केट रेगुलेटर ने अभी लिस्टिंग में लगने वाले समय को 6 दिन से कम करके 3 दिन करने का प्रस्ताव दिया है।
SEBI के कंसल्टेशन पेपर के अनुसार, शेयर के लिस्टिंग की टाइमलाइन कम करने से कंपनियां जल्दी पैसा जुटा सकेंगी, जिससे बिजनेस करने में आसानी होगी। इसके साथ ही इन्वेस्टर्स को IPO में बिड लगाने के बाद जल्दी लिक्विडिटी मिल सकेगी।
इससे इन्वेस्टर्स को क्या फायदा होगा?
दरअसल अभी IPO में बिड लगाने के बाद इन्वेस्टर्स का पैसा मिनिमम 6 दिन तक के लिए होल्ड रहता है। लिस्टिंग में लगने वाला टाइम कम होने के बाद शेयर्स का अलॉटमेंट जल्दी हो सकेगा। वहीं, जिसे शेयर्स अलॉट नहीं होंगे, उनके अकाउंट में पैसा जल्दी रिफंड हो जाया करेगा। इसके साथ ही शेयर्स जल्दी लिस्ट होने के बाद इन्वेस्टर्स आगे का डिसीजन (शेयर होल्ड/सेल) कर सकेंगे।
नवंबर 2018 में SEBI ने 6 दिन किया था टाइम लिमिट
इससे पहले नवंबर 2018 में SEBI ने रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए एप्लिकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) के साथ एक नए पेमेट चैनल के रूप में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) की शुरुआत की थी। इसके साथ ही 6 दिन के अंदर शेयर मार्केट में IPO की लिस्टिंग को अनिवार्य किया था।
अब SEBI इसी टाइम लिमिट को 6 दिन से कम करके 3 दिन करना चाहती है। इसके लिए मार्केट रेगुलेटर ने 3 जून तक पब्लिक फीडबैक देने के लिए कहा है।
यह इन्वेस्टर्स के लिए पॉजिटिव संकेत
SEBI के इस प्रस्ताव पर ट्रेनर-टिप्स टू ट्रेडर्स के को फाउंडर एआर रामचंद्रन ने कहा, 'लिस्टिंग टाइमलाइन को 6 दिन से कम करके 3 दिन करने का प्रस्ताव इन्वेस्टर्स के लिए पॉजिटिव संकेत है। यह लिस्टिंग के टाइम को कम करने के साथ ग्रे मार्केट में कीमतों की अटकलों को कम करेगा।'
सभी म्यूचुअल फंडों के लिए TER बनाने का प्रस्ताव
SEBI ने सभी म्यूचुअल फंडों में यूनिफार्म टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) तय करने का प्रस्ताव रखा है। मार्केट रेगुलेटर ने कहा है कि स्टेकहोल्डर्स से 1 जून तक फीडबैक मिलने के बाद फैसला लिया जाएगा।
म्यूचुअल फंड्स में गड़बड़ी रोकने के लिए भी SEBI ने दिया प्रस्ताव
SEBI ने म्यूचुअल फंड्स में किसी भी गड़बड़ी रोकने के लिए सर्विलेंस सिस्टम और व्हिस्ल ब्लोअर पॉलिसी बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसमें म्यूचुअल फंड्स के सीनियर मैनेजमेंट को कर्मचारियों, डीलर्स, स्टॉक ब्रोकर्स या संबंधित संस्थाओं द्वारा किसी भी गड़बड़ी का पता लगाने और रिपोर्ट करने के लिए जिम्मेदारी देने की सलाह दी गई है।
इसके साथ ही, SEBI ने मार्केट में संभावित गड़बड़ी और धोखाधड़ी वाले ट्रांजैक्शन को एड्रेस करने के लिए म्यूचुअल फंड्स के लिए एक रिपोर्टिंग सिस्टम बनाने पर जोर दिया है।
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