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पूंजी बाजार रेगुलेटर सेबी और बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक के बीच म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री उलझी है। रिजर्व बैंक (RBI) जहां कह रहा है कि म्यूचअल फंड कंपनियां ज्यादा अकाउंट न रखें, वहीं सेबी कह रहा है कि ज्यादा अकाउंट चलेंगे। उधर दूसरी ओर सेबी ने एक नया नियम लागू कर दिया है। इसके मुताबिक, अब 2 लाख रूपए से कम के चेक जिस दिन कैश होंगे उस दिन का NAV लागू होगा।
अभी तक जिस दिन चेक मिलता था, उसी दिन का NAV लागू होता था
बता दें कि अभी तक सेबी के नियमों के मुताबिक, 2 लाख रुपए से कम का चेक आपने किसी म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए दिया है तो जिस दिन चेक देते हैं उसी दिन का नेट असेट वैल्यू (NAV) लगता था। जबकि दो लाख या इससे ज्यादा का चेक देने पर उस दिन की NAV लगता था जिस दिन चेक क्लीयर होता था। पर अब दोनों मामलों में जिस दिन चेक क्लीयर होगा, उसी दिन का NAV माना जाएगा। NAV का मतलब आपके निवेश का वैल्यू कितना है, वह पता चलता है।
बैंक अकाउंट अलग हुए तो घाटा होगा
दरअसल इससे उन निवेशकों को घाटा होगा, जिनका बैंक अकाउंट अलग है। हर म्यूचुअल फंड के पास 5-10 बैंकों के अकाउंट होते हैं। अब आपने अगर इन बैंक अकाउंट का चेक दिया तो आपका चेक उसी दिन कुछ घंटे में क्लीयर हो जाता है। ऐसे में आपको उसी दिन का एनएवी मिल सकता है। पर आपने अगर इनसे अलग दूसरे बैंक खाते का चेक दिया तो जब तक आपका चेक क्लीयर नहीं होगा आपको NAV नहीं मिलेगा।
चेक 3 बजे के बाद क्लीयर हुआ तो अगले दिन का NAV लागू होगा
हालांकि अगर आपका चेक 3 बजे के बाद क्लीयर होता है तो भी आपको अगले दिन का एनएवी मिलेगा। जबकि एक दिन पहले आपका चेक क्लीयर होता है। म्यूचुअल फंड के अधिकारी कहते हैं कि इससे बहुत दिक्कत नहीं है, पर एक दिन के रिटर्न का घाटा जरूर निवेशक को उठाना होगा।
म्यूचुअल फंड कंपनियों पर दबाव बना रहे हैं बैंक
दूसरा मामला इस समय यह है कि ज्यादातर बैंक अब म्यूचुअल फंड कंपनियों पर दबाव बना रहे हैं कि वे दूसरे बैंक अकाउंट को बंद करें। दरअसल म्यूचुअल फंड कंपनियां 5-10 बैंकों में खाते रखती हैं। यह खाता ओवर ड्राफ्ट या अन्य के लिए उपयोग में होता है। पर बड़े बैंक अब यह दबाव बना रहे हैं कि अगर आप मेरे बैंक में बिजनेस कर रहे हैं तो दूसरे बैंक में खाते बंद रखें। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कहना है कि यह संभव नहीं है कि एक या दो बैंक में ही अकाउंट रखे जाएं। ऐसी स्थिति में दिक्कत बढ़ सकती है।
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