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डाउनलोड करेंदेश में अधिकांश लोग सुरक्षा के अलावा टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस खरीदते हैं। हमें उम्मीद है कि बजट में सरकार इंश्योरेंस सेक्टर में टैक्स की छूट देकर ज्यादा लोगों तक पहुंचने में मदद करेगी। उम्मीद है कि सरकार पेंशन स्कीम्स को बढ़ावा देने पेंशन/एन्युटी को ग्राहक के हाथ में टैक्स-फ्री कर सकती है। एक विकल्प ये है कि प्रिंसिपल कंपोनेंट के लिए छूट की अनुमति दी जाए। निजी क्षेत्र को एनपीएस के साथ बराबरी की प्रतिस्पर्धा का मौका मिलना चाहिए।
धारा 80 डी के तहत छूट के लिए हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम की मौजूदा लिमिट (प्रिवेंटिव मेडिकल चेक-अप लागत समेत) सिर्फ 25,000 रुपए है। ये सीमा बढ़ाए जाने की जरूरत है। कोविड के बीते दो वर्षों ने साबित किया है कि मौजूदा सीमा पर्याप्त नहीं है।
इंश्योरेंस सेक्टर में बड़ी राशि के निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा
कुछ साल पहले तक 2.5 लाख प्रीमियम की मैच्योरिटी राशि आयकर की धारा 10(10डी) के तहत कर-मुक्त थी। इसे एक बार फिर कर-योग्य बना दिया गया है। ये फैसला वापस लिया जाना चाहिए। इससे इंश्योरेंस सेक्टर में बड़ी राशि के निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
1.5 लाख की लिमिट 2 से 2.5 लाख तक बढ़ेगी
आयकर की धारा 80सी के तहत कई निवेश विकल्प शामिल किए गए हैं। मसलन जीवन बीमा प्रीमियम, पीपीएफ, ईएलएसएस, एनएससी, एनपीएस, होम लोन का मूलधन इत्यादि। हमें उम्मीद है कि सरकार इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए अलग बकेट बनाएगी या फिर 1.5 लाख की मौजूदा लिमिट को 2 से 2.5 लाख तक बढ़ाएगी।
कमीशन पर टीडीएस छूट बढ़ने की उम्मीद
हमें उम्मीद है कि बजट में सरकार आयकर की धारा 194डी के तहत इंश्योरेंस कमीशन पर टीडीएस छूट की सीमा मौजूदा 15,000 रुपए से बढ़ाएगी। इससे इंश्योरेंस एजेंट को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा इंश्योरेंस जैसे प्रोडक्ट्स पर 18% जीएसटी ज्यादा है। कम से कम बेसिक प्रोटेक्शन प्लान शून्य-जीएसटी के तहत लाए जाने चाहिए।
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