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कोविड पर रोकथाम के लिए पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन के चलते (नॉन फार्म लेबर) वर्कफोर्स में शामिल लोगों की संख्या बहुत कम रह गई है। वित्त वर्ष 2019-20 के औसत के मुकाबले इस साल फरवरी में बेरोजगारों की संख्या 1.1 करोड़ ज्यादा रही है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड के मामलों में उछाल के बाद हालिया लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी बढ़ सकती है।
रोजगार का स्तर पिछले वित्त वर्ष के औसत से 2% कम रह गया है
CMIE के साप्ताहिक विश्लेषण के मुताबिक, हालिया रिकवरी के बाद रोजगार का स्तर पिछले वित्त वर्ष के औसत से 2% कम रह गया है। जहां तक खेती-किसानी से बाहर के क्षेत्रों में रोजगार की बात है तो वहां उसमें पूरी रिकवरी होने में 4% की कमी रह गई है। बड़ी बात यह है कि कहीं कोविड के केस में हालिया उछाल के चलते होने वाले लॉकडाउन से रोजगार के मौकों में ज्यादा कमी न आए।
बेरोजगारों में कारोबारी, नौकरीपेशा लोग और दिहाड़ी मजदूर शामिल
बिजनेस और इकोनॉमिक रिसर्च फर्म CMIE के मुताबिक, 'कोविड के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से जिन 1.1 करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है, उनमें कारोबारियों से लेकर नौकरीपेशा लोग और दिहाड़ी मजदूर तक शामिल हैं।' 2019-20 के रोजगार के औसत आंकड़ों के मुकाबले इस साल फरवरी में रोजगार का जो आंकड़ा रहा है उसके मुताबिक, इस दौरान 30 लाख कारोबारियों, 38 लाख नौकरीपेशा लोगों और 42 लाख दिहाड़ी मजदूरों का रोजगार छिना है।
पिछले एक साल में 70 लाख लोग बेरोजगार हुए
CMIE के मुताबिक, फरवरी 2021 में कुल रोजगार का आंकड़ा 39.9 करोड़ रहा जो साल भर पहले 40.6 करोड़ था। इस हिसाब से पिछले एक साल में 70 लाख लोग बेरोजगार हुए हैं। इस रिसर्च फर्म के मुताबिक, 'रोजगार में संतुष्टि की बात करें तो साल भर पहले वाली स्थिति अभी नहीं है।'
खेती-किसानी से बाहर के क्षेत्रों में फिर से रोजगार बढ़ना जरूरी
CMIE के मुताबिक, 'खेती किसानी में अकसर छद्म बेरोजगारी (डिसगाइज्ड अनएंप्लॉयमेंट) होती है। मतलब खेती के काम में अक्सर जरूरत से ज्यादा लोग लगे होते हैं। वहां उत्पादकता का स्तर पहले से कम होता है और दूसरे क्षेत्रों में रोजगार जाने से वहां के लोगों का यहां आना बढ़ जाता है। इसलिए खेती-किसानी से बाहर के क्षेत्रों में रोजगार का फिर से बढ़ना जरूरी है।'
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