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डाउनलोड करेंनेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने बुधवार को गूगल पर लगाए 1337.76 करोड़ रुपए के जुर्माने के आदेश को बरकरार रखा है। कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (CCI) ने पिछले साल अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस के मामले में गूगल पर ये जुर्माना लगाया था। गूगल पर एंड्रॉइड मोबाइल इकोसिस्टम में अपनी पोजिशन का गलत तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप था।
NCLAT ने जुर्माना भरने और आदेश को लागू करने के लिए 30 दिन का समय दिया है। NCLAT की दो मेंबर्स की बेंच ने कहा कि CCI की जांच नेचुरल जस्टिस के प्रिंसिप्लस का उल्लंघन नहीं है। वह इस तर्क को नहीं मानेगी कि गूगल पर CCI का आदेश बायस्ड है।
गूगल पर 1338 करोड़ का जुर्माना क्यों लगा था?
1. गूगल-पे को हर ऐप का डिफॉल्ट पेमेंट सिस्टम बनाने का दबाव
गूगल ने अपने प्ले स्टोर पर पब्लिश होने वाले हर ऐप पर यह दबाव बनाया था कि वह ऐप से जुड़े हर पेमेंट को गूगल के पेमेंट प्लेटफॉर्म गूगल-पे के जरिये प्रोसेस करे। यह हर In-app Purchase गूगल-पे के जरिये किया जाए। इस पर ऐप पब्लिशर्स ने आपत्ति जताई थी।
CCI ने भी माना कि यह दबाव गलत है। इससे ऐप पब्लिशर्स बेहतर डील मिलने के बावजूद बाकी पेमेंट प्लेटफॉर्म्स से टाई-अप नहीं कर पाते। साथ ही इसे बाकी पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को गलत तरीके से दबाने और बाजार में मोनोपली बनाने का जरिया माना गया।
2. एंड्रॉयड पर गूगल के ऐप्स की बंडलिंग अनिवार्य करना
गूगल का एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला मोबाइल OS है। गूगल ने फोन निर्माता कंपनियों पर दबाव बनाया था कि वह हर नए फोन गूगल के ऐप्स (गूगल सर्च, यू-ट्यूब, क्रोम आदि) डिफॉल्ट के तौर पर शामिल करें। उन्हें इसी शर्त पर एंड्रॉयड के इस्तेमाल की इजाजत मिलती।
CCI ने इसे भी गलत माना। इससे एंड्रॉयड फोन्स पर गूगल के ऐप्स की मोनोपली बन रही थी। सैमसंग जैसी कंपनियां जो अपने सर्च इंजन भी यूजर्स को देती हैं, उनके लिए यह शर्त मुश्किलें बढ़ा रही थी।
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