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मुकेश अंबानी का रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रुप मार्केट कैप के लिहाज से तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। सितंबर में यह देश में पहले नंबर पर था। अब रिलायंस और पहले नंबर के टाटा ग्रुप के मार्केट कैप में 4.57 लाख करोड़ रुपए का अंतर है। रिलायंस ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 12 लाख 68 हजार 478 करोड़ रुपए है। टाटा ग्रुप का मार्केट कैपिटलाइजेशन 17 लाख 25 हजार 567 करोड़ रुपए हो गया है।
RIL अब भी सबसे बड़ी कंपनी
14 सितंबर को रिलायंस ग्रुप का मार्केट कैप 16 लाख करोड़ से ज्यादा था। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 15.40 लाख करोड़ था, अब यह 12.05 लाख करोड़ रह गया है। सितंबर में रिलायंस पीपी का मार्केट कैप 60 हजार करोड़ रुपए था, जो अब 43 हजार करोड़ रुपए है। पीपी मतलब पार्शली पेड शेयर है। बायबैक के बाद जो शेयर लिस्ट हुआ था, उसे पार्शली पेड कहते हैं। ग्रुप की बाकी 8 छोटी-छोटी लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीबन 20 हजार करोड़ रुपए है।
टाटा ग्रुप की कुल 28 कंपनियां लिस्टेड हैं
टाटा ग्रुप की 28 कंपनियां लिस्ट हैं। ग्रुप में सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (TCS) है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 11.98 लाख करोड़ रुपए है। ग्रुप में दूसरे नंबर पर टाइटन है। इसका मार्केट कैप 1.38 लाख करोड़ रुपए है। तीसरे नंबर पर टाटा स्टील है। इसका मार्केट कैप 83 हजार 747 करोड़ रुपए है। अन्य कंपनियों में वोल्टास, 'टाटा मोटर्स, ट्रेंट लिमिटेड, टाटा कंज्यूमर, टाटा पावर और टाटा कम्युनिकेशन प्रमुख हैं।
एचडीएफसी ने भी रिलायंस ग्रुप को पीछे छोड़ा
दूसरे नंबर पर HDFC ग्रुप है। इसमें 8 लाख करोड़ रुपए के साथ HDFC बैंक सबसे बड़ा है। जबकि दूसरे नंबर पर HDFC लिमिटेड है। इसका मार्केट कैप 4.96 लाख करोड़ रुपए है। इसकी अन्य कंपनियों में HDFC लाइफ है जिसका मार्केट कैप 1.46 लाख करोड़ रुपए है। HDFC असेट मैनेजमेंट कंपनी का मार्केट कैप 68 हजार करोड़ रुपए है।
सभी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के मार्केट कैप से ज्यादा एचडीएफसी लि.
वैसे HDFC लिमिटेड का मार्केट कैप देखें तो यह देश में लिस्टेड सभी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के कुल मार्केट कैप से बहुत आगे है। टॉप 7 हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों का मार्केट कैप केवल 48,591 करोड़ रुपए है। इसमें एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस सबसे बड़ी है। इसका मार्केट कैप 22 हजार करोड़ रुपए है। इसी तरह इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस का मार्केट कैप 10,837 करोड़ रुपए है।
पहली बार इस लेवल पर एचडीएफसी ग्रुप का एम कैप
इस समय HDFC और इसके ग्रुप का मार्केट कैप पहली बार इस लेवल पर पहुंचा है। विश्लेषकों के मुताबिक रिलायंस का शेयर अप्रैल से सितंबर के दौरान इसलिए बढ़ा क्योंकि ढेर सारी डील उस समय रिलायंस ने जियो टेलीकॉम और रिटेल में की थी। उसने हिस्सेदारी बेचकर करीब 2 लाख करोड़ रुपए की रकम जुटाई थी। पर उसके बाद अब निवेशकों में इस बात की चिंता है कि आगे कंपनी क्या करेगी? कंपनी की आगे की रणनीति का खुलासा नहीं होने से इसके शेयरों पर लगातार दबाव बना हुआ है।
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