पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंकलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम (CIS) चलाने वाली कंपनियों पर अब लगाम की तैयारी हो रही है। मार्केट रेगुलेटर सेबी इस तरह की योजना बना रही है। यह पहली बार होगा, जब इस सेक्टर पर नियम लागू किए जाएंगे।
पहली बार बदलाव की तैयारी
जानकारी के मुताबिक, सेबी ने पहली बार सामूहिक निवेश योजनाओं यानी CIS के नियमों में बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है। CIS क्लोज्ड एंडेड निवेश सेक्टर में एक पूल्ड इन्वेस्टमेंट साधन माना जाता है। इस स्कीम्स की यूनिट्स को एक्सचेंज पर लिस्ट किया जाता है। इसमें एक निवेशक द्वारा कोई न्यूनतम निवेश सीमा नहीं होती है। रिटेल इन्वेस्टर CIS के लिए प्राइमरी टारगेट इन्वेस्टर होते हैं।
1999 में नियमों को नोटिफाई किया गया था
CIS नियमों को 1999 में नोटिफाई किया गया था और तब से आज तक इसकी कोई समीक्षा नहीं की गई है। शुक्रवार को एक चर्चा में सेबी ने कहा कि रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए उपलब्ध विभिन्न पूल्ड इनवेस्टमेंट साधन के बीच किसी भी रेगुलेटरी मध्यस्थता (arbitrage) को हटाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि नियामक आवश्यकता (regulatory requirement) को म्यूचुअल फंड के साथ गठबंधन किया जाना चाहिए।
फायदा का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए
सेबी ने प्रस्तावित किया है कि कलेक्टिव इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी (CIMC) या उसके प्रमोटर्स के पास फायदा का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए। साथ ही नेटवर्थ भी होना चाहिए। इसने सुझाव दिया है कि CIMC की न्यूनतम नेटवर्थ 50 करोड़ रुपए होनी चाहिए। उनकी कुल संपत्ति पिछले पांच वर्षों में पॉज़िटिव होनी चाहिए। पहले के 5 वर्षों में से तीन में डिप्रीशिएशन, इंटरेस्ट और टैक्स अदा करने के बाद भी फायदा में होना चाहिए।
किसी दूसरी CIMC में हिस्सेदार नहीं हो सकते
सेबी ने यह भी प्रस्ताव दिया कि अगर CIMC, उसके शेयर होल्डर्स के पास प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 10% या उससे अधिक हिस्सेदारी है तो किसी भी अन्य CIMC में शेयर होल्डिंग या वोटिंग अधिकार का 10% या अधिक नहीं होना चाहिए। साथ ही किसी अन्य CIMC पर बोर्ड का प्रतिनिधित्व भी नहीं होना चाहिए। म्यूचुअल फंड की तरह सेबी ने CIS के लिए भी स्किन-इन-द-गेम रुल्स का प्रस्ताव दिया है। रेगुलेटर ने कहा कि CIMC को CIS में निवेश के रूप में कम से कम ढाई प्रतिशत का ब्याज या और पांच करोड़ रुपए का कॉर्पस होना चाहिए। यानी इसमें से जो कम होगा, वह लागू किया जाएगा।
कंपनियां स्कीम चलाकर फंड जुटाती हैं
दरअसल देश में ढेर सारी कंपनियां CIS चलाकर निवेशकों से फंड लेती हैं। बाद में यह फरार हो जाती हैं। कुछ मामलों में यह CIS के तहत आती भी नहीं हैं। इसलिए सेबी ने अब इनको दायरे में लाने और उन्हें रेगुलेट करने के लिए योजना बनाई है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.