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डाउनलोड करें4 मई को LIC का IPO आम निवेशकों के लिए खुलेगा। हालांकि, इससे पहले आज, यानी 2 मई को एंकर निवेशकों के लिए IPO खुलेगा। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल है कि ये एंकर निवेशक कौन होते हैं। तो आज हम आपको इनके बारे में बता रहे हैं।
एंकर निवेशक कौन होते हैं?
एंकर निवेशक संस्थागत निवेशक होते हैं। एंकर निवेशक किसी भी IPO के शुरुआती निवेशक होते हैं, जो किसी भी IPO को जनता के लिए उपलब्ध कराने से पहले उसमें पैसा लगाते हैं। संस्थागत निवेशक वह कंपनी या संस्था होती है जो दूसरे लोगों की तरफ से पैसे निवेश करती है, जैसे म्यूचुअल फंड, पेंशन और इंश्योरेंस कंपनियां। संस्थागत निवेशक किसी भी शेयर में एक बड़ा हिस्सा खरीदते हैं।
LIC के लिए कौन हैं एंकर निवेशक?
LIC IPO में दुनिया की दिग्गज कंपनियां और इनवेस्टर्स इसमें पैसे लगाना चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देश के 5 म्यूचुअल फंड हाउस SBI, HDFC, कोटक, आदित्य बिरला और ICICI प्रूडेंशियल LIC के एंकर निवेशक होंगे। इसके अलावा नॉर्वे, सिंगापुर और अबुधाबी के सॉवरेन वेल्थ फंड्स भी इसमें शामिल हो सकते हैं। ये एंकर इनवेस्टर्स होंगे। बताया जाता है कि नोर्गेस बैंक इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट, GIC PTI और अबुधाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी बतौर एंकर इनवेस्टर्स इस इश्यू में पैसे लगा सकते हैं।
IPO के लिए एंकर निवेशकों की जरूरत क्यों होती है?
जैसा कि उनके नाम से पता चलता है, ये निवेशक IPO लाने वाली कंपनी और आम निवेशकों के बीच के अंतर को पाटते हुए एंकर की तरह काम करते हैं। जाने-माने एंकर निवेशकों की लिस्ट से किसी भी IPO की मांग बढ़ सकती है। वे IPO की सही कीमत को तय करने में भी मदद करते हैं। इससे IPO के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है जो निवेशकों और कंपनी दोनों के लिए फायदेमंद होता है।
35% हिस्सा एंकर निवेशकों के लिए रिजर्व
खबर के मुताबिक, LIC के IPO मैनेजमेंट के लिए नियुक्त फर्मों में से एक के अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि निर्गम के दौरान 50% शेयर पात्र संस्थागत आवंटन (QIP) के लिए रखे गए हैं जिनमें एंकर निवेशक भी शामिल हैं। QIP के लिए आरक्षित शेयरों में से 35% हिस्सा एंकर निवेशकों के लिए सुरक्षित रखा जाएगा।
एंकर निवेशकों के लिए 30 दिन का लॉक-इन पीरियड
LIC का IPO आने से पहले सेबी ने एंकर निवेशकों के लिए आसान नियमों को नोटिफाई किया है। इसके तहत एंकर निवेशकों के लिए उन्हें मिले शेयरों का लॉक-इन पीरियड 30 दिन कर दिया गया है। सेबी ने कहा कि 30 जून तक 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक के पब्लिक इश्यू के लिए यह नियम है। उम्मीद की जा रही है कि सेबी के इस कदम के चलते एलआईसी को और अधिक निवेशक मिलेंगे।
कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। IPO के जरिए कंपनी अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचती है।
IPO के बाद कंपनी जब शेयर बाजार में लिस्ट होती है तब IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
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