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डाउनलोड करेंअमेरिका के दो बड़े बैंकों के दिवालिया होने का असर भारतीय बैंकों पर नहीं होगा। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट कंपनी जेफरीज और फाइनेंशियल सर्विसेस फर्म मैक्वेरी ने ऐसा भरोसा जताया है। इनका कहना है कि स्थानीय डिपॉजिट पर निर्भरता, सरकारी बॉन्ड में निवेश और पर्याप्त नकदी के चलते भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं।
कुछ महीनों से भारतीय बैंक विदेशी बैंकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। जेफरीज के मुताबिक, अधिकांश भारतीय बैंकों ने 22-28% ही सिक्युरिटीज में निवेश किया है। बैंकों के सिक्युरिटीज निवेश में 80% हिस्सेदारी सरकारी बॉन्ड की है। अधिकांश बैंक इनमें से 72-78% मैच्योरिटी तक रखते हैं। इसका मतलब है कि इनकी कीमतों में गिरावट का असर इस निवेश पर नहीं होगा।
भारतीय बैंकों ने पास किया एसवीबी टेस्ट
जेफरीज का कहना है कि भारत के अधिकांश बैंकों ने उसका सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) टेस्ट पास कर लिया है। इसके तहत बैंकों की डिपॉजिट क्वालिटी के साथ ही बैंकों में जमा बॉन्ड पर मैच्युरिटी तक मार्क-टू-मार्केट नुकसान का असर भी आंका गया। इसके मुताबिक, भारतीय बैंकों के पास लंबे समय तक बने रहने वाले हाई क्वालिटी डिपॉजिट हैं। साथ ही बॉन्ड पर उनकी निर्भरता कम है।
2008-09 जैसे हालात नहीं, चढ़ रहे शेयर
2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट में बीएसई का बैंकेक्स 72% टूट गया था। लेकिन 2010 तक सिर्फ 18 महीनों में ये 4 गुना चढ़कर 15,108 पर पहुंच गया था। इसके मुकाबले बीते दो दिन में बैंकेक्स सिर्फ 5% टूटा है, जबकि अमेरिकी बैंकों के शेयरों में 70% तक गिरावट आई। मंगलवार को बैंकों के शेयर मामूली गिरे। आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और इंडसइंड बैंक के शेयरों में तो 0.39% तक तेजी रही।
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