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देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों में पहली तिमाही की तुलना में सितंबर तिमाही में सुधार होने के बाद कई इंडीकेटर्स ऐसे हैं जो मजबूत सुधार दिखा रहे हैं। नवंबर के महीने में पिछले हफ्ते तक डीजल की मांग, गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन और ई-वे बिल जैसे आंकड़े बेहतरी दिखा रहे हैं। इससे अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद दिख रही है।
जनवरी से मार्च के दौरान रोजाना 88 हजार गाड़ियां बिकीं
वाहन के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से मार्च 2020 के दौरान 88 हजार 331 गाड़ियां रोजाना रजिस्टर्ड होती थीं। अप्रैल में यह आंकड़ा घटकर 17,172 पर आ गया। मई में 9,454 पर जबकि जून में इसमें उछाल आया और यह 45 हजार 388 पर आ गया। अक्टूबर में यह आंकड़ा 65 हजार को पार कर गया। 27 नवंबर तक 79 हजार 554 गाड़ियों का रोजाना रजिस्ट्रेशन हुआ था।
त्यौहारी सीजन में गाड़ियों की मांग बढ़ी
नवंबर में सीधे तौर पर त्यौहारी सीजन में गाड़ियों की तेजी दिख रही है। कोरोना के बाद यह पहली बार है जब गाड़ियों का मासिक रजिस्ट्रेशन इस स्तर पर पहुंचा है। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के आंकड़े वाहन पर नहीं आते हैं। उनका हिस्सा ऑटो के कुल वोल्यूम में 15 पर्सेंट और ट्रैक्टर में 20 पर्सेंट है।
ई-वे बिल दिसंबर में 5.5 करोड़ था
इसी तरह ई-वे बिल की बात करें तो दिसंबर 2019 में यह 5.5 करोड़ था। इस साल सितंबर में यह 5.7 करोड़, अक्टूबर में 6.4 करोड और 22 नवंबर तक 4.1 करोड़ था। कोविड से पहले मासिक औसत ई-वे बिल 5.5 करोड़ होता था। इसी तरह नवंबर में पावर की मांग लगातार बढ़ी है। यह 25 नवंबर तक 154.1 गीगावाट थी. जबकि 2019 नवंबर में यह 150.3 गीगावाट थी।
पेट्रोल, डीजल की मांग भी बढ़ी
इसी तरह पेट्रोल -एलपीजी की मांग की बात करें तो यह भी बहुत तेजी से बढ़ी है। पेट्रोल की मांग में 4.7 पर्सेंट का सुधार हुआ है जबकि एलपीजी में 2 पर्सेंट का सुधार हुआ है। डीजल की मांग नवंबर के पहले पखवाड़े में मासिक आधार पर 7.7% बढ़ी है। वस्तु एवं सेवा कर (GST) की बात करें तो यह अक्टूबर में 1.05 लाख करोड़ रुपए रही है। नवंबर में इसके 1.08 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। अक्टूबर में इसमें 10% की ग्रोथ रही है।
आईआईपी में सुधार
6 महीने तक लगातार गिरने के बाद IIP में सुधार दिख रहा है। सितंबर में इसमें 0.2% का सुधार हुआ है।आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि त्यौहारी सीजन की नवंबर में अभी भी मांग है। ऐसा पहली बार कोविड के बाद हुआ है जब गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कोविड के पहले के स्तर पर पहुंच गया है।
जीएसटी कलेक्शन कोविड से पहले के स्तर पर
बता दें कि जीएसटी कलेक्शन कोविड से पहले के स्तर पर है। शेयर बाजार कोविड से पहले के स्तर को पार कर गया है। आईपीओ पहले ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। म्यूचुअल फंड भी रिकॉर्ड पर है। कंपनियों का दूसरी तिमाही का लाभ भी 2014 के बाद रिकॉर्ड पर है जो 1.50 लाख करोड़ रुपए रहा है। इस तरह से अर्थव्यवस्था में जो प्रमुख इंडीकेटर्स हैं, वे इस समय कोरोना से पहले के स्तर पर पहुंच गए हैं।
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