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डाउनलोड करेंभारतीय पेट्रोलियम सेक्टर की 15 बड़ी तेल-गैस कंपनियों से चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में यानी अप्रैल-दिसंबर के बीच सरकारी खजाने में 5.45 लाख करोड़ रुपए आए हैं। इसमें से 3.08 लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार के खजाने में और 2.37 लाख करोड़ रुपए राज्य सरकारों के खजाने में आए। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने सोमवार को राज्यसभा में ये जानकारी दी।
तेजी ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि पेट्रोलियम सेक्टर के इस योगदान में बेसिक एक्साइज ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, रोड एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस (उपकर), एग्रीकल्चर और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस और पेट्रोलियम उत्पादों पर अन्य सेस व सरचार्ज शामिल हैं।
2021-22 में 7.74 लाख करोड़ रुपए सरकारी खजाने में आए
इस साल के आंकड़ों के अलावा, मंत्री ने राज्यसभा को पिछले पांच साल के आंकड़े भी उपलब्ध कराए। इसके मुताबिक, बीते वित्त वर्ष तेल-गैस सेक्टर से सरकारी खजाने में 7.74 लाख करोड़ रुपए आए थे। वित्त वर्ष 2020-21 में ये आंकड़ा 6.72 लाख करोड़ और 2019-20 में 5.55 लाख करोड़ रुपए था।
टैक्स के बाद दोगुने हो जाते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज पर जो अभी 57.16 रुपए है, इस पर केंद्र सरकार 19.90 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं, जिसके बाद इनका दाम बेस प्राइज से 2 गुना तक बढ़ जाते हैं।
मई 2022 में पेट्रोल और डीजल पर घटाई गई थी एक्साइज ड्यूटी
केंद्र सरकार ने ईंधन की ऊंची कीमतों से राहत दिलाने के लिए मई 2022 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 8 रुपए और डीजल पर 6 रुपए प्रति लीटर घटाई थी। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र, केरल और राजस्थान समेत राज्यों ने भी पेट्रोल और डीजल पर वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) में कटौती की थी।
पेट्रोल-डीजल के आज के दाम
देश में तेल के दाम पिछले करीब 9 महीने से स्थिर हैं। हालांकि जुलाई में महाराष्ट्र में पेट्रोल जरूर 5 रुपए और डीजल 3 रुपए प्रति लीटर सस्ता हुआ था, लेकिन बाकी राज्यों में दाम जस के तस बने हुए हैं।
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