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देश के पारंपरिक खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 8 टॉय मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर्स को मंजूरी दी है। इन क्लर्स पर 2,300 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन क्लस्टर्स में लकड़ी, लाह, ताड़ के पत्ते, बांस और कपड़ों के खिलौने बनेंगे।
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय मौजूदा योजनाओं, जैसे स्कीम ऑफ फंड फॉर रिजनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज (स्फूर्ति) के तहत टॉय क्लस्टर्स का विकास करना चाहते हैं। एक अधिकारी ने कहा कि हम सरकार की मौजूदा स्कीम के तहत टॉय क्लस्टर्स स्थापित करना चाहते हैं। MSME मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने हाल में हुई एक बैठक में 8 नए टॉय क्लस्टर्स को मंजूरी दी है।
मध्य प्रदेश में 3 क्लस्टर्स बनेंगे
8 क्लस्टर्स इन राज्यों में बनेंगे:
मध्य प्रदेश : 3
राजस्थान : 2
कर्नाटक : 1
उत्तर प्रदेश : 1
तमिलनाडु : 1
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में 2 टॉय क्लस्टर पहले से हैं
अभी स्फूर्ति योजना के तहत कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में दो टॉय क्लस्टर्स बनाए गए हैं। इन दोनों क्लस्टर्स में कौशल विकास, कॉमन फैसिलिटी सेंटर्स, रीहाउसिंग फैसिलिटीज और मार्केटिंग जैसी सुविधाओं का निर्माण और लोकल उद्योग को ई-कॉमर्स असिस्टेंस जैसे प्रोत्साहन दिए जा रहे हें। रायटर्स के मुताबिक एक अन्य अधिकारी ने कहा कि स्फूर्ति योजना के तहत 35 क्लस्टसर्स बनाने की योजना है। MSME मंत्रालय के अधिकारी ने कहा किा सरकार क्लस्टर्स बनाने के लिए बेहद तेजी से काम कर रही है। अब 6 महीने में मंजूरी मिल रही है। इसके बाद उन्हें स्थापित करने में 6 महीने और लग रहे हैं।
शनिवार से शुरू हो रहा है पहला वर्चुअल इंडिया टॉय फेयर
कुछ ही दिनों बाद देश में पहली बार वर्चुअल इंडिया टॉय फेयर-2021 का आयोजन होने जा रहा है। यह 27 फरवरी से 2 मार्च तक चलेगा। इसमें देशभर के 1,000 से ज्यादा खिलौना निर्माताओं के खिलौनों को देखने और उन्हें खरीदने का अवसर मिलेगा।
देश में करीब 90% खिलौने चीन और ताईवान से आते हैं
सरकार नेशनल एक्शन प्लान फॉर इंडियन टॉय स्टोरी के तहत ये कदम उठा रही है। इन कदमों के जरिये सरकार आयातित खिलौनों पर देश की निर्भरता घटाना चाहती है और देश में ही इनका उत्पादन बढ़ाना चाहती है। 2019-20 में देश में करीब 1.5 अरब मूल्य के खिलौनों का आयात हुआ था। घरेलू खिलौना बाजार में करीब 90% खिलौने चीन और ताईवान से आते हैं।
विदेशी खिलौने असुरक्षित
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) के हाल के एक अध्ययन के मुताबिक 67% आयातित खिलौने टेस्टिंग में असफल रहे। इससे यह बात सामने आई कि देश में ही सुरक्षित खिलौने बनाने बनाना बेहद जरूरी है। डोमेस्टिक मैन्यूफैक्चरिंग इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि भारत में खिलौना उद्योग मुख्यत: असंगठित है। इस उद्योग में करीब 4,000 MSME कारोबार कर रहे हैं। डॉल, ताश के पत्ते, वीडियोगेम कंसोल्स और बोर्ड गेम्स को टॉय माना जाता है।
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