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सोने की चमक लगातार फीकी पड़ती जा रही है। सोने के दाम पिछले 8 महीने में सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। अभी सोना 46,130 रुपए प्रति 10 ग्राम बिक रहा है। इससे पहले 1 जून 2020 में सोना 46 हजार पर था। इसके बाद सोने की चमक लगातार बढ़ी और ये अगस्त में अपने ऑलटाइम हाई 56 हजार 200 रुपए पर पहुंच गया था। लेकिन अगस्त से लेकर अब तक सोना 10 हजार रुपए से भी सस्ता हो गया है। सिर्फ 6 महीनों में ही सोने की कीमत में 10 हजार रुपए से भी ज्यादा की कमी आई है।
1 हफ्ते में ही सोना 870 रुपए सस्ता हुआ
1 हफ्ते में ही सोना 870 रुपए सस्ता हुआ है। 12 फरवरी को सोने का भाव 47 हजार पर था। जो अब 46,130 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गया है। 19 फरवरी को सोने की कीमतों में 560 रुपए की गिरावट आई थी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने में आई गिरावट
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1,791 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस हो गया। वैश्विक वायदा भाव कॉमेक्स पर सोना 1,784 डॉलर प्रति औंस पर है। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर भी पिछले कुछ दिनों में थोड़ा कमजोर हुआ है। अभी सोना 1800 डॉलर प्रति औंस के स्तर से नीचे आ गया है।
इंपोर्ट ड्यूटी घटने का भी असर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पेश किए बजट में सोने और चांदी पर आयात शुल्क में भारी कटौती की घोषणा की है। सोने और चांदी पर आयात शुल्क में 5% की कटौती की है। इस समय फिलहाल सोने और चांदी पर 12.5% आयात शुल्क देना होता है। 5% की कटौती के बाद सिर्फ 7.5% इंपोर्ट ड्यूटी देनी होगी। इससे सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है।
अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की स्थिति बनने पर सोने में बढ़ता है निवेश
अर्थशास्त्री डॉ. गणेश कावड़िया (स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स,देवी अहिल्या विवि इंदौर के पूर्व विभागाध्यक्ष) के अनुसार निवेशक हमेशा ज्यादा और सुरक्षित मुनाफा चाहते हैं और यह मुनाफ़ा उन्हें स्टॉक मार्केट, फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, विभिन्न प्रकार के बॉन्ड या सोने में पैसा लगाने से मिलता है। हालात जब सामान्य होते हैं तो यह मुनाफा स्टॉक मार्केट, बॉन्ड आदि से मिलता है लेकिन जब दुनिया की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की स्थिति बन जाती है तो निवेशक सोने में निवेश बढ़ा देते हैं। उनको लगता है कि सोने से उन्हें सुरक्षा मिलेगी और उसकी क़ीमत नहीं घटेगी। इसकी वजह से कोरोनाकाल में निवेशकों में सोने की मांग बढ़ गई थी।
भारत में सोने के दाम बढ़ने की एक दूसरी वजह बैंकों का 2018-19 में 600 टन सोना ख़रीदना भी थी क्योंकि इससे मांग बढ़ी और सोने के दाम ऊपर गए। लेकिन अब स्थिति सामान्य हो रही है और लोग शेयर बाजार में फिर से पैसा लगा रहे हैं।
वैक्सीन का ऐलान होते ही गिरा सोना
कोरोना संकट भले ही अभी न टला हो, पर वैक्सीन आते ही लोगों में करोना का डर कम हुआ है। अगस्त 2020 तक सोने का भाव बढ़ता जा रहा था। लेकिन अगस्त में ही रूस ने पहली कोरोना वैक्सीन का ऐलान किया। इसी के बाद सितंबर से सोना टूटने लगा। अब वर्ल्ड बैंक की भविष्यवाणी मानें, तो 2030 तक सोने के भाव में 10% से 20% तक की गिरावट आएगी।
अगले 2 सालों में भारत में 68 हजार रुपए तक जा सकता है सोना
ग्लोबल मार्केट से एकदम उलट भारत के ट्रेड एनालिस्ट और सोना कारोबारियों को भरोसा है कि अगले दो सालों में एक तोला सोना 68 हजार रुपए तक पहुंच सकता है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विस के उपाध्यक्ष नवनीत धमनी का मनाना है कि सरकार का फिजिकल डेफिसिट बढ़ा है। अर्थव्यवस्था को सुधरने में अभी वक्त लगेगा। जब तक अर्थव्यवस्था नहीं सुधरती, सोना सबसे ज्यादा रिटर्न देता रहेगा। आने वाले 2 सालों में एक तोला सोना 68 हजार पार कर सकता है।
सोना स्थिर और अच्छे रिटर्न के लिए बेहतर विकल्प
अर्थशास्त्री डॉ. गणेश कावड़िया (स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स, देवी अहिल्या विवि इंदौर के पूर्व विभागाध्यक्ष) के अनुसार आप लंबे समय के लिए सोने में निवेश कर सकते हैं। इस पर कीमतों में मौजूदा उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ेगा। सोने की कीमत घटती भी हैं तो, कुछ समय बाद फिर बढ़ जाएगी।
सोने ने बीते 5 साल में दिया 85% का रिटर्न
21 जनवरी 2016 को सोने का दाम 25 हजार के करीब था जो अभी 46,130 रुपए पर है। यानी 5 साल में सोने ने 85% रिटर्न दिया है। भारत में सोने का दाम 1965 की तुलना में अभी 746 गुना ज्यादा है। 1965 में इसकी कीमत 63.25 रुपए प्रति 10 ग्राम थी।
चीन के बाद भारत में सोने की सबसे ज्यादा खपत
चीन के बाद भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि, हमारे यहां सोने का उत्पादन 0.5% से भी कम होता है। लेकिन, डिमांड कुल वैश्विक मांग की 25% से भी ज्यादा है। भारत में सालाना 800 से 900 टन सोने की मांग रहती है।
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