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डाउनलोड करेंदुनिया के नौवें सबसे अमीर शख्स और शीर्ष उद्योगपति गौतम अडाणी लगातार सफलता के शिखर छू रहे हैं। वे कहते हैं- हमारे यहां नियम है कि तमाम व्यस्तताओं के बीच भी परिवार के सभी लोग लंच की टेबल पर साथ बैठते हैं। जो भी मुद्दे हों, वहीं हल कर लेते हैं। संदेश स्पष्ट है- व्यस्तता जीवन का अंग है, लेकिन परिवार के लिए समय निकालना भी जरूरी है। दैनिक भास्कर ने अडाणी से कारोबार से लेकर परिवार की ताकत का भी राज जाना।
मृगांक पटेल की गौतम अडाणी से बातचीत के अंश...
अडाणी समूह का कारोबार दुनियाभर में है, मुख्यालय अहमदाबाद में ही रखने की वजह?
अहमदाबाद मेरी जन्मभूमि है। इसी शहर ने व्यापार-धंधे में मुझे पाला-पोसा। गुजरात मेरा परिवार है। परिवार से दूर कौन जाता है। शेख आदम आबुवाला के शेर के जरिए लगाव जताऊं तो कहूंगा,‘आप बुलाएंगे तो जरूर आऊंगा, शर्त इतनी है कि वतन की मिट्टी का ढेला चाहिए होगा।’
1995 के बाद से उद्यमिता के सफर में ऐसा पल भी आया कि परिवार से असहमति रही?
पिताजी ने बचपन में समझाया था कि हमारे हाथ की पांचों अंगुलियां भगवान ने एक समान नहीं दी हैं, लेकिन जब इन्हें एकजुट कर मुट्ठी बांधते हैं तो प्रचंड ताकत बनती है। ये सीख और समझाइश परिवार में आज भी समाहित है। सालों से परिवार के सदस्य हर दिन लंच ऑफिस में साथ करते हैं। सभी विषयों पर चर्चा से संवाद बना रहता है। लगातार मजबूत होता है।
उद्योग संचालन में परिवार किस तरह जुड़ा है?
अडाणी परिवार प्रोफेशनल्स का मार्गदर्शन करता है। इसके अनुसार प्रोफेशनल्स अच्छा काम कर रहे हैं। फैमिली और प्रोफेशनल्स के बीच अच्छे सहयोग से अडाणी समूह का कारोबार चलता है।
आपका लक्ष्य ग्रीन एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन है?
आज दुनिया जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का सामना कर रही है। पेरिस कॉन्फ्रेंस में ग्रीन एनर्जी के लिए योजना बनाई गई है। अडाणी समूह ने इसमें 2030 तक 70 अरब डॉलर निवेश का संकल्प किया है। दूसरी बात, भौगोलिक विशेषता के चलते देश में सूर्य की रोशनी प्रचुर मात्रा में है। इसके भरपूर उपयोग के उद्देश्य से हमने क्लीन और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में कदम रखा है। हम सोलर एनर्जी और संबद्ध उपकरणों के उत्पादन में भी प्रवेश कर चुके हैं। इन उपकरणों में लगने वाला ‘सिलिका’ देश में बहुत मात्रा में है। ऐसे में एनर्जी और संबंधित सामग्री आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अडाणी परिवार का औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश और विकास कैसे हुआ?
राष्ट्र निर्माण की भावना अडाणी समूह की नींव में है। एक गुजराती के रूप में साहस के संस्कार हैं ही। साल 1992 में अडाणी एक्सपोर्ट नाम से आयात-निर्यात के रूप में शुरुआत की। तब एक अंग्रेजी वाक्य दिल को छू गया, ‘Growth with Goodness.’ इसी विजन के साथ हम देश के 20 बंदरगाहों के जरिए कारोबार करते थे।
1995 में भारत सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निजी क्षेत्र आकर्षित करने की घोषणा की। मुंद्रा पोर्ट विकसित हुआ और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में समूह का प्रवेश हुआ। पोर्ट के आसपास हमारे पास बड़े पैमाने पर जमीन थी। साल 2006-07 में बड़ा विद्युत संकट पैदा हुआ। सरकार ने विद्युत कानूनों में संशोधन किए। तब मुंद्रा पोर्ट के पास अडाणी पावर प्लांट लगाया।
इस तरह पावर सेक्टर में प्रवेश हुआ। चार-पांच साल बाद ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी शुरू किया। इस तरह एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में दाखिल हुए। नेचुरल गैस संबंधी नीतियां बनने पर एनर्जी सेक्टर भी हमारे पोर्टफोलियो में जुड़ा।
समूह डेटा सेंटर और डिफेंस जैसे नए सेक्टर में भी बढ़त बना रहा है?
देश की सुरक्षा हर भारतीय की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी हमारा देश रक्षा क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश है। इस मामले में भारत आत्मनिर्भर बने और रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित कर स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़े। इस पथ पर योगदान देने के लिए अडाणी समूह समर्पित है।
अडाणी फाउंडेशन का कामकाज?
अडाणी फाउंडेशन 16 राज्यों के लगभग 2400 से अधिक गांवों की 40 लाख आबादी की गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा, जन स्वास्थ्य, स्वरोजगार और कुपोषण उन्मूलन के लिए काम कर रहा है। स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 11 राज्यों के एक लाख लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। महामारी के समय पैदा हुई ऑक्सीजन तंगी में अडाणी फाउंडेशन ने लॉजिस्टिक चैनल के जरिए ऑक्सीजन आयात कर कई राज्यों में ऑक्सीजन आपूर्ति की।
गौतम अडाणी के समूह के उतार-चढ़ाव और व्यापार का सफरनामा जानने के लिए यहां क्लिक करें.....
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