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डाउनलोड करेंफ्रैंकलिन टेंपल्टन के डेट म्यूचुअल फंड के निवेशकों का इंतजार और लंबा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज इसकी 6 स्कीम्स से पैसे निकालने पर रोक लगा दी है। इससे अब निवेशक पैसा नहीं निकाल पाएंगे। कोर्ट ने पूंजी बाजार नियामक सेबी से निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप नहीं करने पर भी सवाल उठाया है।
एक हफ्ते के भीतर मंजूरी लें
मामले की सुनवाई करते हुए जज एस ए नजीर और संजीव खन्ना की पीठ ने फ्रैंकलिन टेंपल्टन को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर बंद स्कीम्स के लिए उनकी मंजूरी लेने के लिए यूनिटधारकों के बीच बैठक बुलाएं। दोनों जज की सुप्रीम कोर्ट की पीठ फ्रैंकलिन टेंपल्टन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट आदेश में कहा गया था कि 6 डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स को बन्द होने से पहले यूनिटधारकों से जनरल बहुमत की सहमति की आवश्यकता है।
अब फंड हाउस को एक हफ्ते के भीतर अपनी सभी छह डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स के यूनिट धारकों की बैठक बुलानी होगी और उन्हें बंद करने के लिए उनकी मंजूरी लेनी होगी।
इसी साल बंद की थी स्कीम्स
फ्रैंकलिन टेंपल्टन ने इस साल अप्रैल में रिडेम्पशन दबाव और डेट बाजारों में लिक्विडिटी की कमी का हवाला देते हुए छह स्कीम्स को समेट लिया था। इन छह स्कीम्स का असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) अप्रैल में 26,000 करोड़ रुपए था। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह बैठक सभी पक्षों के अधिकारों और विवादों के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के होगी।
सेबी की खिंचाई की
सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर तेजी से काम न करने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी की खिंचाई की। पीठ ने कहा कि सेबी के रेगुलेशन में बहुत ढांचे हैं और यह भ्रम उनके रेगुलेशन की भाषा के कारण हुआ है। कोर्ट ने कहा कि एक आम आदमी इसे समझ नहीं सकता। कोर्ट ने सेबी से सवाल किया कि उसने बैंकों के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरह पहले हस्तक्षेप क्यों नहीं किया। सेबी ने कोर्ट को बताया कि उसके पास स्कीम्स को समेटने की प्रक्रिया के संबंध में कोई अधिकार नहीं है।
ये हैं बंद स्कीम्स
6 बंद स्कीम्स में फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड, फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनॉमिक एक्रुअल फंड और फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड शामिल हैं। इनमें अभी 43%, 27%, 26% और 8% कैश है। इससे पहले पिछले महीने फंड हाउस ने कहा था कि मैच्योरिटीज, प्रीपेमेंट्स और कूपन पेमेंट के जरिए 6 स्कीम्स को अब तक 9,682 करोड़ रुपए मिले हैं।
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