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विकसित बाजारों में इस समय अमेरिकी शेयर बाजार सबसे महंगे लेवल पर कारोबार कर रहा है। जबकि भारत का शेयर बाजार उभरते हुए बाजारों में सबसे महंगा है। इससे अब इन बाजारों में निवेश पर ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद कम है। निवेश पर घाटा भी हो सकता है।
निफ्टी 28.96 के पीई पर
उभरते बाजारों में भारत का निफ्टी इस समय 28.96 के फारवर्ड PE पर कारोबार कर रहा है। फारवर्ड पीई का मतलब यह है कि यह जितना ज्यादा होगा, बाजार उतना महंगा होता है। पीई मतलब प्राइस टु अर्निंग यानी शेयर की कीमत और प्रति शेयर कमाई का औसत। निफ्टी के 5 साल के अगर औसत को देखें तो यह 48.57% प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। प्रीमियम मतलब ज्यादा कीमत पर कारोबार।
दूसरी बार निफ्टी इतना महंगा है
यह दूसरा मौका है जब निफ्टी इतना ज्यादा महंगा है। दरअसल जब भी बाजार में किसी कारण से भारी गिरावट आती है तो उसके बाद बाजार एक नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है। साल 2008 में जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी थी तो उस समय बाजारों में भारी गिरावट थी। इसके बाद इंडेक्स जनवरी से अक्टूबर 2008 के दौरान 60% तक टूटा था। निफ्टी साल 2008 की शुरुआत में अपने पांच साल के औसत पीई के 40% पर ट्रेड कर रहा था।
थाईलैंड का बाजार 20.31 के पीई पर
उभरते बाजारों में थाईलैंड का बाजार इस समय 20.31 के फारवर्ड पीई पर कारोबार कर रहा है। जबकि 5 साल का इसका औसत प्रीमियम 22.47% है। विकसित बाजारों की बात करें तो अमेरिका का नास्डैक इस समय 33.88 के पीई पर कारोबार कर रहा है। 5 साल का इसका औसत प्रीमियम 36.98% है। जापान का निक्केई 24.96 के फारवर्ड पीई पर है जबकि 5 साल का औसत प्रीमियम 42.19% है।
बाजार महंगे हैं, पर शेयर बेच कर निकलने का समय नहीं है
सीएनआई रिसर्च के चेयरमैन किशोर ओस्तवाल कहते हैं कि बेशक बाजार महंगे हैं, मगर यह बिकवाली कर निकलने का समय नहीं है। अधिक वैल्यूएशन एक चिंता का विषय हो सकता है, मगर निवेशक सिर्फ वैल्यूएशन के आधार मार्केट टाइमिंग का आकलन नहीं कर सकते। निफ्टी के 18 दिग्गज शेयर अपने पांच साल के औसत वैल्यूएशन की तुलना में 40% से अधिक प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं। इनमें रिलायंस, टीसीएस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एचडीएफसी शामिल हैं।
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