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डाउनलोड करेंसेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) को पूर्व प्रमोटर्स कपिल वाधवान और धीरज वाधवान समेत अन्य के खिलाफ 34,615 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। एजेंसी की ओर से दर्ज किया गया ये अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड है। कपिल और धीरज वधावन ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के एक कंसोर्टियम के साथ फ्रॉड किया है।
CBI ने इस केस में मुंबई में 12 स्थानों पर छापे मारे। इस केस में CBI ने DHFL, कपिल वाधवान, धीरज वाधवान, स्काईलार्क बिल्डकॉन प्रा. लिमिटेड, दर्शन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, सिगटिया कंस्ट्रक्शन बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, टाउनशिप डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, शिशिर रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड, सनब्लिंक रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, सुधाकर शेट्टी और अन्य को मामले में आरोपी बनाया है।
2010 से लोन लेना शुरू किया
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम से आरोपी फर्मों ने 2010 से से लोन लेना शुरू किया था। अलग-अलग समय में इस लोन को NPA घोषित किया गया था। फंड के डायवर्जन, राउंड ट्रिपिंग और फंड की हेराफेरी के आरोपों पर मीडिया रिपोर्ट सामने आने के बाद इसकी जांच शुरू की गई थी। इसके बाद 1 फरवरी 2019 को कर्ज देने वाले बैंकों ने मीटिंग की।
ऑडिट में सामने आया फंड डायवर्जन
सदस्यों ने KPMG को 1 अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2018 तक DHFL के स्पेशल रिव्यू ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया। इसके बाद बैंकों ने 18 अक्टूबर 2019 को कपिल और धीरज वाधावन के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने की मांग की ताकि उन्हें देश छोड़ने से रोका जा सके। ऑडिट में कपिल और धीरज वाधवान की ओर से किए गए फंड डायवर्जन, फंड की राउंड ट्रिपिंग और अन्य वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थी।
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