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कोविड की दूसरी लहर के बीच लॉकडाउन शुरू होने से बैंकों का बैड लोन बढ़ सकता है। हालांकि, हाल में इकोनॉमिक रिकवरी तेज होने से प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ने की संभावना बनी है। कुछ समय से लोन की मांग लगातार बढ़ रही है। रिटेल लोन कोविड से पहले वाले लेवल पर पहुंच गए हैं और कॉरपोरेट लोन भी ज्यादा बांटे जा रहे हैं। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक प्राइवेट बैंकों की लोन ग्रोथ इंडस्ट्री से ज्यादा रह सकती है।
टोटल बैड लोन बढ़ेगा लेकिन नया बैड लोन ज्यादा नहीं होगा
बैंकों का ध्यान बैड लोन की रिकवरी की तरफ शिफ्ट हो सकता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कोविड के चलते 90 दिन से ज्यादा तक बकाया रहने चाले लोन को NPA करार देने पर रोक हटा ली है। इससे टोटल बैड लोन बढ़ेगा लेकिन नया बैड लोन ज्यादा नहीं होगा।
प्रोविजनिंग से पहले का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 17% बढ़ सकता है
बैंकों का फोकस बही खाते में पूंजी बढ़ाने पर बना रहेगा। मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक, मार्च क्वॉर्टर में बैंकों का प्रोविजनिंग से पहले का ऑपरेटिंग प्रॉफिट सालाना आधार पर 17% बढ़ सकता है जबकि टैक्स पेमेंट के बाद की प्रॉफिट में 108% का उछाल आ सकता है।
HDFC, L&T फाइनेंस, M&M फाइनेंशियल का मार्जिन बढ़ता रहेगा
आर्थिक स्थितियां बेहतर होने और ठीक ठाक पूंजी रहने से नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) की लोन बांटने की रफ्तार और वसूली की क्षमता बढ़ी है। मार्च वाले क्वॉर्टर में लोन इनका डिस्बर्समेंट कोविड से पहले वाले लेवल पर रहने की उम्मीद है। HDFC, L&T फाइनेंस, M&M फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी कंपनियों की पूंजी बढ़ने से उनका मार्जिन बढ़ता रहेगा।
ब्रोकरेज फर्म ने कुछ बैंकिंग और NBFC शेयरों को खरीदने की सलाह दी है। इनमें ICICI बैंक, HDFC बैंक, SBI, फेडरल बैंक, मैक्स लाइफ शामिल हैं। पहले बात करते हैं ICICI बैंक की, जिसके लिए उसने बाय रेटिंग दी है।
ICICI बैंक
बैंक का प्रोविजन कवरेज रेशियो 86% है जो इंडस्ट्री में काफी ज्यादा है और यह उसके बिजनेस को सेफ्टी देता है। नया बैड लोन कंट्रोल में हैं और 0.4% लोन की रिस्ट्रक्चरिंग हुई है। रिटेल डिपॉजिट मजबूत बना हुआ है और इसकी कॉस्ट प्राइवेट बैंकों में सबसे कम है। टोटल डिपॉजिट बेस में कासा यानी करेंट एकाउंट सेविंग्स एकाउंट 45.2% है और इसकी ग्रोथ मजबूत बनी रह सकती है।
HDFC बैंक
बैंक के रिटेल लोन बिजनेस की ग्रोथ कमजोर रही है लेकिन उसको कॉरपोरेट लोन में ग्रोथ का फायदा मिला है। हाई रेटिंग वाली कंपनियों को लोन देने पर बैंक का फोकस बना हुआ है और रिस्की लोन का प्रतिशत वित्त वर्ष 2019 के 75% से घटकर 66% पर आ गया है। MSME सेक्टर का बैड लोन 9% के अनुमान से काफी कम 2.3% पर आ गया है। लोन पर कोविड का असर सीमित है और आधे पर्सेंट लोन की रिस्ट्रक्चरिंग हुई है। बेहतर कासा रेशियो से बैंक का मार्जिन मजबूत बना रहेगा।
SBI
कोविड को लेकर बनी अनिश्चितता घटने की वजह से बैंक का प्रॉफिट बढ़ सकता है। बैंक का प्रोविजन कवरेज रेशियो 86% है जो उसकी बैलेंसशीट को मजबूत बनाता है। बैलेंसशीट पर कोविड का असर सीमित रह सकता है। वित्त वर्ष 2021 में टोटल NPA और रिस्ट्रक्चरिंग 2.5% रह सकता है। इसका लोन कलेक्शन दूसरे बड़े बैंकों जितना 97% के बराबर है। इसका CASA भी 45% के ऊंचे लेवल पर है। पिछले कुछ साल से स्ट्रॉन्ग परफॉर्मेंस दे रही SBI MF, SBI लाइफ और SBI कार्ड की लिस्टिंग से बैंक का वैल्यूएशन बढ़ सकता है।
फेडरल बैंक
बैंक ने अपने लोन पर कोविड के असर को काबू में रखा है। 100 करोड़ रुपए से बड़ा कोई लोन वॉचलिस्ट में नहीं है। इसके 1.3% लोन की ही रिस्ट्रक्चरिंग हो रही है। वित्त वर्ष 2021 में बैंक का बैड बढ़ सकता है। इसका प्रोविजिन कवरेज रेशियो बढ़ा है जो बैलेंसशीट के लिए बेहतर है। दूसरे मझोले बैंकों के मुकाबले बैंक का डिपॉजिट कॉस्ट कम है।
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