पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंउपभोक्ता को खरीदी करते समय सावधान रहना चाहिए। यदि वे जागरूक रहेंगे तो कंपनियां भी बेहतर उत्पाद पेश करेंगी। इसके बाद भी कुछ खामी आ जाती है। अक्सर प्रक्रिया की जानकारी नहीं होने से शिकायतों का समाधान नहीं हो पाता। उपभोक्ता अदालतें इसके लिए सरल, सस्ता माध्यम हैं। लेकिन उन तक जाने से पहले कुछ पहलुओं को जानना जरूरी है।
क्या आप उपभोक्ता की परिभाषा में आते हैं?
उपभोक्ता की परिभाषा में आप तभी आ सकते हैं जब आपने काेई सेवा या सामग्री निजी इस्तेमाल के लिए खरीदी हुई है। व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए खरीदी की स्थिति में आप उपभोक्ता नहीं हैं।
सही फोरम का चुनाव कैसे करें?
एक करोड़ रुपए से कम के लिए जिला, 1-10 करोड़ से कम के लिए राज्य और 10 करोड़ से ज्यादा के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत में जाना पड़ेगा। कोई भी घटना होने की तारीख से दो साल के भीतर केस दायर किया जा सकता है।
अपने केस में तथ्य मजबूती से रखें?
कानूनी नजरिये से देखें कि आपका कानूनी पक्ष मजबूत हो। जैसे आपने एक साल की वारंटी वाला टीवी खरीदा है। दो साल बाद खराबी आने पर यह दलील नहीं दे सकते कि इसे पांच साल चलना चाहिए।
शर्तों का पालन न करने पर राहत नहीं
मोटर दुर्घटना मामले में आपके पास वैध रजिस्ट्रेशन या परमिट नहीं है तो अदालत करार की शर्त के उल्लंघन पर दावा राशि से इनकार कर सकती है। अक्सर एजेंट बीमा फॉर्म भरते हैं और ग्राहक आंख मूंदकर साइन कर देते हैं। एजेंट अक्सर पहले से मौजूद बीमारी की जानकारी नहीं देते।
पहले उपभोक्ता अदालत राहत के तौर पर बीमा राशि का कुछ अंश दे देती थीं। अब अदालतें मानती हैं कि आपने साइन किए हैं तो आपने शर्तों पर सहमति दी है। इसे देखते हुए उपभोक्ताओं को सावधानी से करार को पढ़ना चाहिए।
हमारे एक्सपर्ट्स
बिजनेस स्टैंडर्ड से विशेष अनुबंध के तहत
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.