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डाउनलोड करेंएपल Inc. भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के साथ-साथ अपने इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट में बड़े बदलाव करने की प्लानिंग भी कर रही है। इतना ही नहीं कंपनी अब भारत पर ज्यादा फोकस करना चाहती है। ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि कंपनी से जुड़े एक शख्स ने इस बात की जानकारी दी है।
भारत को एक अलग सेल्स रीजन बनाएगी एपल
सूत्रों के मुताबिक, एपल के इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट में बड़े बदलाव करने से ये पहली बार होगा कि भारत कंपनी का एक अलग सेल्स रीजन बन जाएगा। ऐसा होने पर एपल के लिए भारत काफी महत्वपूर्ण हो जाएगा। इस बारें मे जानकारी देने वाले लोगों ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर ब्लूमबर्ग को यह जानकारी दी है।
एपल के इस कदम से पता चलता है कि दुनिया में भारत की साख कितनी मजबूत हो रही है। दुनिया की छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी कंपनियां भी भारत में अपनी ग्रोथ देख रही हैं। यही वजह है कि कई विदेशी कंपनियां भारत में इन्वेस्टमेंट कर रही हैं।
एपल के वाइस प्रेसिडेंट ह्यूजेस असेमन रिटायर हुए
एपल के वाइस प्रेसिडेंट ह्यूजेस असेमन हाल ही में ही रिटायर हुए हैं, जो भारत, मध्यपूर्व, मेडिटेरेनियन, ईस्ट यूरोप और अफ्रीका का काम संभालते थे। कंपनी भारत में अपने हेड आशीष चौधरी को प्रमोट कर रही है। अब तक वह असेमन को रिपोर्ट करते थे, लेकिन अब सीधे एपल के प्रोडक्ट सेल्स हेड माइकल फेंगर को रिपोर्ट करेंगे।
भारत से एपल का रेवेन्यू रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
पिछली तिमाही में भारत में कंपनी की टोटल सेल्स में 5% की गिरावट आई थी, लेकिन उसका रेवेन्यू रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। एपल इस साल के आखिरी में भारत में अपना पहला रिटेल आउटलेट खोलने का प्लान भी बना रही है। एपल के CEO टिम कुक ने कहा था कि कंपनी इंडियन मार्केट पर बहुत ज्यादा फोकस कर रही है।
टिम कुक ने कहा था कि भारत में उसी तरह काम किया जा रहा है, जैसे उसने पहले चीन में किया था। चीन में एपल की सालाना कमाई करीब 75 बिलियन डॉलर यानी 6.15 लाख करोड़ रुपए है, जो अमेरिका और यूरोप के बाद एपल का सबसे बड़ा सेल्स रीजन है।
भारत में एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाएगी एपल
एपल के लिए भारत प्रोडक्ट डेवलपमेंट के लिए बेहद जरूरी होता जा रहा है। एपल के कई बड़े सप्लायर्स भारत की ओर रुख कर रहे हैं। इतना ही नहीं एपल भी अपने मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर फॉक्सकॉन के साथ मिलकर भारत में आईफोन बनाने का प्लांट स्थापित करने का प्लान बना रही है।
नए बदलावों का एपल के मैनेजमेंट स्ट्रक्चर पर असर पड़ेगा, लेकिन उस तरह से नहीं जिसमें वो अपने नतीजों में रीजनल सेल्स के बारे में बताता है। उन स्टेमेंट्स में कंपनी भारत को मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के साथ-साथ यूरोप कैटेगरी के हिस्से के रूप में शामिल करती है। इसके अलावा वो चार और रीजन भी बताता है, जिसमें अमेरिका, ग्रेटर चीन, जापान और रेस्ट ऑफ एशिया पैसिफिक शामिल हैं।
असेमन से पहले कई लोग छोड़ चुके हैं कंपनी का साथ
बता दें कि असेमन से पहले कई लोग कंपनी का साथ छोड़ चुके हैं। एपल के वाइस प्रेसिडेंट जो सब्सक्रिप्शन सर्विसेज के चीफ थे, उन्होंने इस साल की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा क्लाउड के चीफ अगले महीने एपल से अलविदा कह देंगे। पिछले साल कंपनी के इंडस्ट्रियल डिजाइन, पर्चेज, इंफॉर्मेशन सिस्टम और ऑनलाइन स्टोर के चीफ ने कंपनी छोड़ दी थी।
प्लांट को स्थापित कर 1 लाख लोगों को नौकरी देगी कंपनी
बीते दिनों खबर आई थी कि फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप ने लोकल प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए भारत के तेलंगाना में एक नया प्लांट बनाने का फैसाल किया है। ताइवान की मल्टीनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन यह प्लांट तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले में कोंगारा कलां में स्थापित करेगी।
इस प्लांट को स्थापित कर कंपनी 1 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरियां देगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्लांट को स्थापित करने के लिए फॉक्सकॉन करीब 700 मिलियन डॉलर (करीब 5.7 हजार करोड़ रुपए) का निवेश करेगी।
चीन से मैन्युफैक्चरिंग भारत में शिफ्ट की जा रही
अमेरिका-चीन के बीच तनाव बढ़ने के कारण चीन से मैन्युफैक्चरिंग भारत में शिफ्ट की जा रही है। जियो पॉलिटिकल टेंशन और कोरोना महामारी के बाद एपल समेत अन्य अमेरिकी टेक दिग्गज चीन के बाहर भी अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के विस्तार पर काम कर रहे हैं।
भारत में इस प्लांट के बनने से लगभग 1 लाख जॉब्स क्रिएट होंगे। चीन के झेंग्झौ में कंपनी के विशाल आईफोन असैंबली कॉम्प्लेक्स में इस समय लगभग 200,000 कर्मचारी काम करते हैं। हालांकि, पीक प्रोडक्शन सीजन के दौरान यह संख्या बढ़ जाती है। भारत में फॉक्सकॉन का ये इन्वेस्टमेंट अब तक का उसका यहां सबसे बड़ा सिंगल इन्वेस्टमेंट है।
भारत में 2017 से बन रहे आईफोन
एपल ने 2017 में आईफोन SE के साथ भारत में आईफोन्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की थी। इसके तीन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विस (EMS) पार्टनर- फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन है। आईफोन SE के बाद भारत में आईफोन 11, आईफोन 12 और आईफोन 13 की मैन्युफैक्चरिंग भी की गई। फॉक्सकॉन का प्लांट चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर में है।
भारत सरकार की PLI स्कीम का हिस्सा एपल
एपल के तीनों कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर भारत सरकार की 41,000 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन-लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम (PLI) का हिस्सा है। इस स्कीम के बाद ही भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है। 2020 में भारत सरकार ने PLI Scheme को लॉन्च किया था। इस स्कीम से बाहर के देशों की कंपनीज को मौका मिलता है कि वो लोकल मैन्युफैक्चरिंग का फायदा उठा सकें, साथ ही उस पर इन्सेंटिव भी कमा सकें।
एपल ज्यादातर आईफोन चीन में ही क्यों बनवाती है?
ज्यादातर आईफोन की असेंबलिंग चीन में होती है। क्या इसका कारण लेबर की कम कॉस्ट है? इन्वेस्टोपीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक आईफोन कर्मचारी का औसत वेतन $10 प्रति घंटा है। टॉप कमाई करने वाले लगभग $27 प्रति घंटा कमाते हैं।
एपल के CEO टिम कुक के अनुसार, चीन में मैन्युफैक्चरिंग का कारण लो लेबर कॉस्ट नहीं है। अगर ऐसा होता, तो एपल अपने फोन को और भी सस्ती जगहों पर बना सकता था। कुक के अनुसार मुख्य कारण टूलिंग इंजीनियरिंग में जरूरी स्किल है। उनका दावा है कि स्पेसिफिक स्किल सेट अब US में उपलब्ध नहीं है, लेकिन चीन के पास एक्सपर्टीज है।
अलग-अलग देशों में अलग कीमतें
अमेरिका में सबसे कम कीमतों पर आईफोन मिलते हैं। चीन में मैन्युफैक्चरिंग के बावजूद अमेरिका की तुलना में आईफोन महंगा बिकता हैं। ऐसा करेंसी फ्ल्कचुएशन और चीन में लगाए जाने वाले भारी भरकम वैल्यू ऐडेड टैक्स के कारण होता है। इसी तरह भारत में भी मैन्युफैक्चरिंग के बावजूद आईफोन अमेरिका की तुलना में काफी महंगा बिकता है। अमेरिका के बाद हॉन्गकॉन्ग, जापान ऐसी जगहें हैं जहां ये सस्ता मिलता है।
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