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डाउनलोड करेंअमेरिका में बैंकिंग सेक्टर क्राइसिस थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के बाद अब फर्स्ट रिपब्लिक बैंक पर भी बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। बीते 5 दिनों में फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयर में 65.61% की गिरावट दर्ज की गई है।
वहीं एक महीने की बात करें तो स्टॉक की कीमत में 70.30% की गिरावट आ चुकी है। ऐसे में निवेशकों में इस बैंक को लेकर चिंता बढ़ गई।
मूडीज ने फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को अंडर रिव्यू में रखा
रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody's) ने भी जिन छह अमेरिकी बैंकों को अंडर रिव्यू रखा है, उसमें फर्स्ट रिपब्लिक बैंक का नाम भी शामिल है। इसके अलावा रेटिंग एजेंसी ने जिओन्स बैनकॉपोरेशन, वेस्टर्न एलिएंस बैनकॉर्प, कॉमेरिका इंक, यूएमबी फाइनेंशियल कॉर्प और इंट्रस्ट फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन की रेटिंग भी डाउनग्रेड करते हुए अंडर रिव्यू में रखा है। इससे पहले सोमवार को मूडीज ने सिग्नेचर बैंक की डेट रेटिंग को डाउनग्रेड कर जंक टेरिटरी में डाल दिया था।
बैंक ने कहा 'हमारे पास बैंक चलाने के लिए पर्याप्त नगदी'
फर्स्ट रिपब्लिक बैंक ने अपने बचाव में कहा है कि उसके पास बैंक को चलाने के लिए पर्याप्त नगदी है। इसने अतिरिक्त नगदी के लिए फेड और जेपी मॉर्गन से हाथ मिलाया है। इससे पहले सोमवार को वेस्टर्न एलायंस ने बताया था कि बैंक के पास 25 बिलियन डॉलर से ज्यादा की नगदी उपलब्ध है।
सिलिकॉन वैली बैंक के सवाल पर उठकर चले गए थे बाइडेन
सिलिकॉन वैली बैंक क्राइसिस अमेरिकी सरकार के लिए परेशानी बनती दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से सोमवार को इस क्राइसिस पर सवाल किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इतना ही नहीं वे इवेंट से उठकर चले गए।
राष्ट्रपति जो बाइडेन व्हाइट हाउस में "लचीली बैंकिंग व्यवस्था को बनाए रखने और ऐतिहासिक आर्थिक सुधार की रक्षा" विषय पर बोल रहे थे। स्पीच खत्म होने के बाद रिपोर्टर ने राष्ट्रपति बाइडेन पूछा था कि आप इस बारे (सिलिकॉन वैली बैंक क्राइसिस) में अभी क्या जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ? और क्या आप अमेरिकियों को आश्वस्त कर सकते हैं कि ऐसा नहीं आगे होगा?, लेकिन जो बाइडेन इस सवाल का जवाब दिए बिना ही वहां से चले गए।
भारतीय बैंकों पर अमेरिकी बैंकिंग संकट का असर नहीं
अमेरिका के दो बड़े बैंकों के दिवालिया होने का असर भारतीय बैंकों पर नहीं होगा। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट कंपनी जेफरीज और फाइनेंशियल सर्विसेस फर्म मैक्वेरी ने ऐसा भरोसा जताया है। इनका कहना है कि स्थानीय डिपॉजिट पर निर्भरता, सरकारी बॉन्ड में निवेश और पर्याप्त नकदी के चलते भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं।
कुछ महीनों से भारतीय बैंक विदेशी बैंकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। जेफरीज के मुताबिक, अधिकांश भारतीय बैंकों ने 22-28% ही सिक्योरिटीज में निवेश किया है। बैंकों के सिक्योरिटीज निवेश में 80% हिस्सेदारी सरकारी बॉन्ड की है। अधिकांश बैंक इनमें से 72-78% मैच्योरिटी तक रखते हैं। इसका मतलब है कि इनकी कीमतों में गिरावट का असर इस निवेश पर नहीं होगा।
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