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डाउनलोड करेंवाराणसी के पंचगंगा घाट पर रविवार को घाट वॉक के संस्थापक BHU के न्यूरो चिकित्सक प्रो. विजय नाथ मिश्र ने कहा कि घाट वॉक सृजन, स्वास्थ्य और शिक्षा तीनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। इससे जुड़ने मात्र से व्यक्ति गति में आ जाता है और तमाम तरह की संकीर्णताओं से मुक्त हो जाता है।
दरअसल, रविवार को अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वॉक विश्वविद्यालय का वार्षिक समारोह मनाया जाना था। लेकिन, कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए वृहद आयोजन स्थगित करते हुए प्रतीकात्मक समारोह मनाया गया। घाट वॉक रीवा घाट से शुरू होकर मानसरोवर व मणिकर्णिका से होते हुए गाय घाट पर समाप्त हुआ। इसके बाद नाव से गंगा पार रेत में कबीर वाणी की प्रस्तुति से समारोह को संपन्न किया गया।
काशी के घाट ज्ञान के द्रष्टा ही नहीं सर्जक भी
BHU के भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक व घाट वॉक विश्वविद्यालय के मानद डीन प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि बनारस के घाट केवल ज्ञान के द्रष्टा ही नहीं हैं बल्कि सर्जक भी हैं। इन घाटों पर केवल हर का ही बोध नहीं होता बल्कि लहर का भी आनंद मिलता है। ये हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं जो हमें एक वृहत्तर संदर्भ प्रदान करते हैं। डॉ. दया शंकर मिश्र 'दयालु' ने कहा कि काशी के घाट एक-दूसरे को जोड़ते हैं। उनसे जुड़ना समस्त मानव संस्कृति से जुड़ना है।
कार्यक्रम में 'ताना बाना' समूह के देवेंद्र दास, गौरव मिश्र, कृष्णा और भगीरथ ने कबीर भजन की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर ग्रीन पुरुष के नाम से ख्यात मदन मोहन यादव, डॉ. अनिल सूर्यधर, मनकामना शुक्ल 'पथिक', उमेश गोस्वामी ने भी घाट वॉक को संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमरजीत राम ने किया। आभार जंतलेश्वर यादव ने जताया।
घाट वॉक में अष्टभुजा मिश्र, सत्यम, जितेंद्र कुमार, संतोष सैनी, संतोष मांझी, तनुज दुबे, सर्वेश वर्मा, मुकेश आडवाणी, आकाश सेठ, अनिल गुप्ता, अरविंद यादव, अवनींद्र सिंह अमन, संजय केशरी, शिव विश्वकर्मा, शैलेश तिवारी, वाचस्पति उपाध्याय, अभिषेक गुप्ता आदि मौजूद रहे।
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